Market Positioning Explained: How Brands Win Customers – Expert Insights

सही मार्केट पोजिशनिंग ही तय करती है ब्रांड की सफलता या असफलता।

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ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में ब्रांड्स अपनी पहचान बनाने के लिए मार्केट पोजिशनिंग पर भरोसा करते हैं।Market Positioning in Auto Industry

Launch announcement, price, availability

हर बार जब ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कोई नया ब्रांड या मॉडल लॉन्च होता है, तो उसके फीचर्स, प्राइस और अवेलेबिलिटी से ज्यादा चर्चा जिस बात की होती है, वह है उसका मार्केट पोजिशनिंग। उदाहरण के लिए, जब कोई कंपनी ₹10 लाख से ₹15 लाख की रेंज में SUV लॉन्च करती है, तो सवाल उठता है — यह गाड़ी किसको टारगेट करेगी? क्या यह फैमिली कार है, क्या यह यूथ को अट्रैक्ट करेगी या फिर प्रीमियम सेगमेंट के ग्राहकों के लिए है?
मार्केट पोजिशनिंग ही वह प्रक्रिया है जिसके जरिए कंपनी यह तय करती है कि उनके प्रोडक्ट की पहचान ग्राहकों के मन में कैसी होगी। अगर यह कदम सही हो, तो प्रोडक्ट तेजी से बिकता है और ब्रांड वफादारी (brand loyalty) भी बनती है।

Key features and specifications

मार्केट पोजिशनिंग के भी कुछ मुख्य “features और specifications” होते हैं। इसे आप कार के इंजन, गियर और माइलेज की तरह समझ सकते हैं, जो उसकी परफॉर्मेंस तय करते हैं:

  1. Differentiation (अलग पहचान बनाना):
    जैसे Maruti Suzuki की कारें अक्सर अपनी affordability और mileage के लिए जानी जाती हैं। वहीं, Mercedes-Benz अपनी luxury और comfort पर फोकस करती है।

  2. Target Segment (लक्षित ग्राहक समूह):
    Hyundai अपनी Creta को middle-class families के लिए पेश करती है, जबकि Mahindra XUV700 को adventure-loving और SUV-enthusiast ग्राहकों के लिए।

  3. Price Positioning (मूल्य निर्धारण):
    टाटा ने अपनी EVs को “affordable electric” सेगमेंट में उतारा है, जबकि Tesla खुद को premium EV brand की तरह प्रस्तुत करता है।

  4. Value Proposition (मूल्य वादा):
    Ola Electric का वादा है “सस्ता और sustainable mobility solution”, जबकि Harley Davidson का value proposition है “freedom और iconic lifestyle।”

  5. Communication Strategy (संचार रणनीति):
    स्लोगन, विज्ञापन और ब्रांड एम्बेसडर की मदद से कंपनियां अपने ब्रांड को ग्राहकों के दिमाग में position करती हैं। जैसे Hero MotoCorp का “Hum Mein Hai Hero।”

Competitor comparison

अगर हम Competitor Comparison की बात करें, तो मार्केट पोजिशनिंग के कई दिलचस्प उदाहरण देखने को मिलते हैं।

  • Tata Motors बनाम Mahindra & Mahindra:
    Tata अपनी कारों को safety और value-for-money पर position करता है। Mahindra अपनी SUVs को power, ruggedness और adventure appeal पर रखता है।

  • Hyundai बनाम Kia:
    दोनों Korean brands हैं, लेकिन Hyundai खुद को mass-market player के रूप में position करता है, जबकि Kia थोड़ा premium और stylish appeal बनाता है।

  • Ola Electric बनाम Ather Energy:
    Ola mass market penetration की ओर बढ़ रहा है, वहीं Ather खुद को premium electric scooter ब्रांड के रूप में पेश करता है।

यानी Competitor Comparison से साफ होता है कि सही पोजिशनिंग ही ग्राहकों को confuse होने से बचाती है और ब्रांड को अलग पहचान देती है।

Market positioning and expert opinion

एक्सपर्ट्स की राय में, मार्केट पोजिशनिंग केवल product की USP बताने का खेल नहीं है, बल्कि यह एक consumer psychology strategy है।

  • Amitava Chattopadhyay (Branding Expert):
    उनका मानना है कि emerging markets में ब्रांड्स को local culture और customer behavior को समझकर positioning करनी चाहिए।

  • Trade Experts का मानना है:

    • अगर कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट को premium दिखाती है, लेकिन service और after-sales support poor है, तो पोजिशनिंग fail हो जाती है।

    • Indian customers value-for-money पर बहुत ध्यान देते हैं। इसलिए Tata की safety-based positioning सफल रही, जबकि कई premium imported models flop हुए।

    • Electric vehicle brands के लिए sustainability और cost-saving positioning ज्यादा असरदार साबित हो रही है।

  • Market Positioning का Future:
    आने वाले समय में कंपनियाँ सिर्फ features से नहीं, बल्कि eco-friendly image, AI integration और connected mobility solutions के आधार पर पोजिशनिंग करेंगी।

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