भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री इस समय एक अहम बदलाव के दौर से गुजर रही है।
SEBI ने हाल ही में एक नया कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें Total Expense Ratio (TER) यानी कुल व्यय अनुपात में बदलाव की सिफारिश की गई है। इसके तहत, एक्सिट लोड पर अतिरिक्त 5 बेसिस पॉइंट चार्ज को हटाने का प्रस्ताव रखा गया है — जिससे एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) की कमाई पर सीधा असर पड़ सकता है।
लेकिन जापानी ब्रोकरेज हाउस Nomura का मानना है कि यह झटका उतना बड़ा नहीं होगा जितना पहली नजर में लगता है।
Nomura का विश्लेषण: AMC पर कितना असर पड़ेगा
Nomura की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्ताव से तीन प्रमुख सूचीबद्ध AMC कंपनियों — HDFC AMC, Nippon AMC और UTI AMC — की कमाई में 6% से 8% तक की गिरावट हो सकती है।
HDFC AMC:
अगर एक्सिट लोड पर 5 बेसिस पॉइंट चार्ज हटता है, तो कंपनी को करीब ₹333.8 करोड़ का वार्षिक नुकसान होगा। यह उसके अनुमानित FY27 प्री-टैक्स प्रॉफिट (PBT) का करीब 7.3% है।Nippon AMC:
कंपनी को ₹185.7 करोड़ का घाटा हो सकता है, जो FY27 के अनुमानित मुनाफे का लगभग 7.9% होगा।UTI AMC:
असर अपेक्षाकृत कम रहेगा — लगभग ₹76.7 करोड़ का नुकसान, जो FY27 PBT का करीब 6.5% है।
Nomura ने साफ कहा कि यह केवल “गणितीय अनुमान” है। कंपनियां डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन, प्रोडक्ट स्ट्रक्चर और लागत सुधार के जरिए इस नुकसान को कुछ हद तक न्यूट्रलाइज़ कर सकती हैं।
SEBI का प्रस्ताव: TER स्लैब में कटौती और प्रभाव
SEBI ने TER स्लैब में औसतन 15 बेसिस पॉइंट की कटौती का सुझाव दिया है। इसका सीधा मतलब है कि AMC को हर ₹100 करोड़ के AUM (Assets Under Management) पर अब पहले से कम राजस्व मिलेगा।
लेकिन, Nomura का कहना है कि अगर SEBI कुछ वैधानिक करों (जैसे GST) को TER गणना से बाहर रखता है, तो यह असर काफी हद तक कम हो सकता है।
उदाहरण के लिए,
HDFC Midcap Fund में प्रबंधन शुल्क 0.58% और अन्य खर्चे 0.76% हैं।
इन खर्चों पर GST 0.11% अतिरिक्त जुड़ता है।
अगर GST को TER गणना से बाहर किया जाता है, तो AMC को वास्तविक रिटर्न थोड़ा बढ़ा हुआ मिलेगा, जिससे प्रस्तावित 15 बेसिस पॉइंट की कटौती का असर आधा या पूरा भी खत्म हो सकता है।
डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन — नया ‘बटलग्राउंड’
Nomura के मुताबिक, कम रेवेन्यू स्लैब का असर अब डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन पर भी पड़ेगा।
बड़ी AMCs जैसे HDFC और Nippon के पास ब्रांड और स्केल का फायदा है, इसलिए वे एजेंट्स से बेहतर शर्तें तय कर सकती हैं।
वहीं छोटी कंपनियां कमीशन में कटौती करने में हिचकिचा सकती हैं, जिससे उनकी मार्जिन पर और दबाव आएगा।
इसके अलावा, SEBI द्वारा ब्रोकरेज कैप घटाने का प्रस्ताव भी आया है, जिससे ब्रोकरेज हाउस और डिस्ट्रीब्यूटर्स की आय और घट सकती है।
पैसिव निवेश का बढ़ता रुझान
Nomura की रिपोर्ट बताती है कि SEBI के नए नियमों से पैसिव फंड्स (Index Funds, ETFs) को फायदा हो सकता है।
कम TER का मतलब है कि निवेशक सस्ते उत्पादों की ओर रुख करेंगे, जिससे एक्टिव फंड्स की लोकप्रियता धीरे-धीरे घट सकती है।
HDFC AMC और Nippon AMC जैसी कंपनियाँ पहले से ही इस बदलाव को भांप चुकी हैं और अपने पोर्टफोलियो में पैसिव उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं।
आने वाले समय में यह ट्रेंड पूरी इंडस्ट्री के बिजनेस मॉडल को बदल सकता है, जहां स्केल और ऑटोमेशन ही मुनाफे की कुंजी होंगे।
Nomura का AMC स्टॉक्स पर दृष्टिकोण
Nomura ने अपने DCF (Discounted Cash Flow) वैल्यूएशन के आधार पर तीनों AMCs के लिए निम्नलिखित टारगेट प्राइस तय किए हैं:
HDFC AMC: ₹6,000
Nippon AMC: ₹920
UTI AMC: ₹1,300
रिपोर्ट के अनुसार, अगर SEBI वैधानिक करों को TER गणना से बाहर रखता है, तो ये वैल्यूएशन बड़ी हद तक सुरक्षित रहेंगे।
लेकिन अगर नियमों की व्याख्या सीमित रखी गई, तो कमाई में और गिरावट संभव है।
निवेशकों के लिए तीन मुख्य जोखिम
SEBI के अंतिम नियमों की भाषा — अगर वैधानिक करों को शामिल किया गया तो असर गहरा होगा।
डिस्ट्रीब्यूटर की प्रतिक्रिया — कमीशन में कटौती का विरोध असर को देर से दिखा सकता है।
एक्टिव बनाम पैसिव बदलाव — कम फीस के चलते एक्टिव फंड्स की लाभप्रदता धीरे-धीरे घट सकती है।
आगे क्या देखें निवेशक?
Nomura का कहना है कि SEBI की फाइनल नोटिफिकेशन इस पूरे समीकरण को तय करेगी।
अगर प्रस्ताव वर्तमान स्वरूप में लागू होते हैं, तो बड़ी और स्केलेबल AMCs जैसे HDFC और Nippon आसानी से अनुकूलन कर पाएंगी,
जबकि छोटी कंपनियों को अपने बिजनेस मॉडल में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं।
फिलहाल, निवेशकों को AMC सेक्टर में सावधानीपूर्वक स्टॉक सिलेक्शन और SEBI की फाइनल घोषणा पर नज़र रखनी चाहिए।
निष्कर्ष: Nomura का व्यू — बड़ा तूफ़ान नहीं, लेकिन दिशा बदल सकती है
Nomura का मानना है कि SEBI के नए नियमों से AMC की कमाई पर सीमित प्रभाव होगा,
लेकिन यह बदलाव पूरी इंडस्ट्री को लो-कॉस्ट और हाई-इफिशिएंसी मॉडल की ओर धकेल सकता है।
यानि, भविष्य में जो AMC स्केल और तकनीक के साथ काम करेगी, वही टिकेगी।


