SEBI ने Investment Advisers और Research Analysts के लिए Qualification Norms किए आसान – अब किसी भी Graduate को मिलेगा मौका

SEBI का बड़ा फैसला: अब हर ग्रेजुएट को मिलेगा वित्तीय बाज़ार में करियर बनाने का अवसर

Dev
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SEBI ने IA और RA के लिए eligibility norms को सरल बनाकर युवाओं के लिए नया रास्ता खोला।SEBI नए नियम

भारतीय वित्तीय बाजार में तेजी से बढ़ती भागीदारी और बदलते निवेश माहौल को देखते हुए, बाज़ार नियामक SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब Investment Advisers (IAs) और Research Analysts (RAs) बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता को काफी सरल कर दिया गया है।

पहले जहां इन भूमिकाओं के लिए Finance, Commerce, Business Management, Economics जैसी फाइनेंस-संबंधित डिग्री अनिवार्य थी, अब SEBI ने इसे बदलकर सभी क्षेत्रों के ग्रेजुएट्स के लिए रास्ता खोल दिया है। यानी अब Engineering, Law, Arts, Science या किसी भी स्ट्रीम का Graduate IA और RA के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकता है।

यह बदलाव न केवल युवाओं के लिए बड़ी राहत है, बल्कि वित्तीय सेवाओं के उद्योग में टैलेंट पूल को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी माना जा रहा है।

नए नियमों में क्या है बदलाव?

SEBI ने अपने नए नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि IAs और RAs के लिए अब निम्न में से कोई एक योग्यता पर्याप्त होगी:

1. किसी भी स्ट्रीम में Graduate डिग्री

किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री होने पर आवेदन किया जा सकता है।

2. CFA Institute से CFA Charter

जो उम्मीदवार CFA पूरा कर चुके हैं, वे स्वतः योग्य माने जाएंगे।

3. NISM Certification अनिवार्य रहेगा

भले ही शैक्षणिक योग्यता को सरल किया गया है, लेकिन डोमेन नॉलेज सुनिश्चित करने के लिए NISM Certification अनिवार्य है।
यह सुनिश्चित करेगा कि योग्य उम्मीदवारों को वित्तीय बाज़ार की गहरी समझ हो।

क्यों ज़रूरी था यह बदलाव?

भारत में वित्तीय साक्षरता और निवेश जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। लाखों नए निवेशक म्यूचुअल फंड, स्टॉक्स और SIP जैसे साधनों में निवेश कर रहे हैं।

लेकिन एक बड़ी समस्या यह थी कि Investment Advisers और Research Analysts की संख्या मांग के मुकाबले काफी कम थी

फाइनेंस बैकग्राउंड न होने के कारण कई प्रतिभाशाली उम्मीदवार इस क्षेत्र में नहीं आ पाते थे।

SEBI का यह कदम:

  • प्रतिभाशाली युवाओं के लिए नए अवसर खोलेगा

  • उद्योग को कुशल पेशेवर प्रदान करेगा

  • निवेशकों को बेहतर क्वालिटी की सलाह और रिसर्च उपलब्ध कराएगा

  • Skills-based approach को बढ़ावा देगा

IA के Corporatisation से जुड़े नए नियम

SEBI ने IAs की corporatisation प्रक्रिया को भी आसान और पारदर्शी बनाया है।

पहले:

  • 300 क्लाइंट या

  • ₹3 करोड़ फीस

का स्तर पार करने पर मात्र 3 महीने के अंदर Advisers को Corporate Structure में बदलना पड़ता था।

अब नए नियम के अनुसार:

IA को SEBI को तुरंत सूचना देनी होगी

जैसे ही क्लाइंट लिमिट या फीस लिमिट क्रॉस होती है।

3 महीने का समय मिलेगा In-Principle Approval के लिए आवेदन करने हेतु

इस अवधि में प्रक्रिया बिना किसी परेशानी के पूरी की जा सकेगी।

3 महीने अतिरिक्त Conversion पूरा करने के लिए

कुल मिलाकर 6 महीने की समयसीमा।

महत्वपूर्ण – इस दौरान नए क्लाइंट जोड़ने की अनुमति भी होगी

पहले यह सुविधा नहीं थी, जिससे Advisers को नुकसान होता था।

इससे कैसे बदलेगा वित्तीय बाज़ार?

SEBI के इस फैसले का सीधा प्रभाव वित्तीय सेवाओं के उद्योग पर होगा:

1. अधिक IA और RA बाजार में आएंगे

डिमांड-सप्लाई गैप कम होगा।

2. Investors को अधिक क्वालिटी एडवाइज मिल सकेगी

कन्फ्लिक्ट-फ्री और रेगुलेटेड सलाह।

3. Skill-based रोजगार बढ़ेगा

NISM की मांग बढ़ेगी, जिससे domain expertise में सुधार होगा।

4. युवाओं के लिए नए करियर विकल्प खुलेंगे

किसी भी स्ट्रीम से पढ़े छात्र अब फाइनेंस सेक्टर में प्रवेश कर पाएंगे।

विशेषज्ञों की राय

फाइनेंस इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह निर्णय समय की जरूरत था।
भारत में निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और ऐसे में Licensed Investment Advisers और Research Analysts की मांग बढ़ना स्वाभाविक था।

कई कंपनियों ने भी इस कदम का स्वागत किया है क्योंकि:

  • Talent pool बढ़ेगा

  • Competition बढ़ेगा

  • Investors को बेहतर services मिलेंगी

अंतिम निष्कर्ष

SEBI का यह फैसला युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर है।
अब कोई भी Graduate, उचित NISM Certification के साथ, Investment Adviser या Research Analyst के रूप में वित्तीय बाजार में एक सफल करियर बना सकता है।

यह कदम भारत के वित्तीय इकोसिस्टम को अधिक पारदर्शी, कुशल और व्यापक बनाने में मदद करेगा।

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