साने ताकाइची की आर्थिक रणनीति से लेकर भारत की बैंकिंग नीतियों तक — वैश्विक बाज़ार पर दो बड़े फैसलों का प्रभाव
दुनिया के आर्थिक परिदृश्य में वह सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ, जिसमें जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने अपनी आर्थिक रणनीति का खाका पेश किया और भारत सरकार ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र में अपनी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की। दोनों घटनाओं ने न सिर्फ अपने-अपने देशों की वित्तीय दिशा को प्रभावित किया, बल्कि वैश्विक बाजार में भी नए संकेत दिए।
- साने ताकाइची की आर्थिक रणनीति से लेकर भारत की बैंकिंग नीतियों तक — वैश्विक बाज़ार पर दो बड़े फैसलों का प्रभाव
- जापान में ऐतिहासिक बदलाव: साने ताकाइची की आर्थिक दृष्टि
- येन: क्या लौटेगी मजबूती?
- चीन को लेकर जापान का नया रुख
- भारत में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की हिस्सेदारी बिकवाली—क्या बदलेगा खेल?
- सरकार को कितना धन मिलेगा?
- बैंक की मजबूती—Q2 के आंकड़े चौंकाते हैं
- इन दोनों फैसलों का वैश्विक बाजार पर असर
इस रिपोर्ट में हम समझेंगे कि जापान की नई नीति, येन के मूल्य, अमेरिका-जापान संबंध, और भारत की बैंकिंग रणनीति—ये सभी मिलकर आने वाले महीनों में बाजार की तस्वीर कैसे बदलेंगे।
जापान में ऐतिहासिक बदलाव: साने ताकाइची की आर्थिक दृष्टि
जापान ने पहली बार एक महिला प्रधानमंत्री को चुना है—साने ताकाइची, जिनकी राजनीतिक विचारधारा और आर्थिक दृष्टि बेहद स्पष्ट और आक्रामक मानी जाती है। उनकी नीतियों का प्रभाव पहले ही जापान के वित्तीय बाजारों में देखा जा रहा है।
21.3 ट्रिलियन येन का आर्थिक पैकेज
नवनियुक्त प्रधानमंत्री ने अपनी पॉलिसी की शुरुआत एक विशाल पैकेज से की है। इसमें शामिल हैं—
टैक्स कटौती
निवेश को बढ़ावा
घरेलू खर्च में तेजी
उत्पादन बढ़ाने के प्रोत्साहन
यह कदम “Abenomics” की तर्ज पर लिया गया है, जिसने जापान को दशकों की डिफ्लेशन से बाहर निकाला था।
जापान में महंगाई नियंत्रित लेकिन वेतन बढ़ा
दिलचस्प बात यह है कि जापान में महंगाई 3% के करीब है, लेकिन वास्तविक वेतन यानी inflation-adjusted income भी बढ़ रहा है, जिससे आम घरों की क्रय शक्ति मजबूत हुई है।
येन: क्या लौटेगी मजबूती?
आज जापानी मुद्रा येन का Real Effective Exchange Rate (REER) 1970 के शुरुआती वर्षों के बराबर है। विशेषज्ञ मानते हैं कि येन अत्यधिक undervalued है, यानी मौजूदा स्तर खरीदारी का शानदार अवसर हो सकता है।
BoJ द्वारा 2026 में धीरे-धीरे ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद
यह कदम येन को मजबूत करेगा।
वित्त मंत्री कातायामा ने भी स्पष्ट कहा है:
“120 का स्तर हमारी सहजता का संकेत है”
जो कि मौजूदा स्तर से भारी appreciation दिखाता है।
क्यों जापान तेज़ी से कदम नहीं उठाना चाहता?
क्योंकि—
जापान खाद्य आयात पर निर्भर है
कमजोर येन = महंगी खाद्य कीमतें
2024 में जापान का फ़ूड डिफिसिट 7.7 ट्रिलियन येन था
इसलिए मुद्रा का अत्यधिक कमजोर होना देश की जेब पर भारी पड़ सकता है।
चीन को लेकर जापान का नया रुख
ताकाइची की विदेश नीति चीन के प्रति सख्त मानी जा रही है। हालांकि, विश्लेषक मानते हैं कि आर्थिक नुकसान सीमित रहेगा और कुछ समय बाद कूटनीतिक संतुलन स्थापित हो जाएगा।
दूसरी ओर, अमेरिका के साथ उनके संबंध काफी सकारात्मक रहे हैं, और अनुमान है कि 17% अमेरिकी टैरिफ में भविष्य में कटौती हो सकती है, जो जापानी उद्योगों के लिए बड़ी राहत साबित होगी।
भारत में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की हिस्सेदारी बिकवाली—क्या बदलेगा खेल?
अब बात भारत की, जहां सरकार ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 6% हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है।
यह कदम SEBI के उस नियम के अनुरूप है, जिसमें कहा गया है कि—
हर सूचीबद्ध PSU कंपनी में कम से कम 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी होना आवश्यक है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सरकार की हिस्सेदारी
वर्तमान: 79.6%
OFS के बाद: 73–74% (अनुमानित)
इससे बैंक अब SEBI की शर्त पूरी कर सकेगा।
सरकार को कितना धन मिलेगा?
बाजार मूल्य ₹57.65 के अनुसार, सरकार इस OFS से लगभग—
₹2,600 करोड़
उठाने की तैयारी में है।
बैंक की मजबूती—Q2 के आंकड़े चौंकाते हैं
बैंक का सितंबर तिमाही (Q2 FY26) प्रदर्शन मजबूत रहा:
नेट प्रॉफिट: 23% बढ़कर ₹1,633 करोड़
कुल आय: ₹7,973 करोड़
Gross NPA: 1.84% से घटकर 1.72%
Net NPA: 0.20% से घटकर 0.18%
ये आंकड़े बताते हैं कि बैंक मजबूत स्थिति में है और सरकारी हिस्सेदारी घटने से निवेशकों का भरोसा और बढ़ सकता है।
इन दोनों फैसलों का वैश्विक बाजार पर असर
जापान में—
मजबूत येन = उभरते बाजारों से जापानी निवेश की वापसी
ब्याज दर वृद्धि = एशिया में कैरी ट्रेड पर असर
भारत में—
PSU बैंकिंग क्षेत्र में सुधार
निजी निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी
सरकारी डिसइन्वेस्टमेंट लक्ष्य पूरे होंगे
निष्कर्ष: नीति और बाजार दोनों पर बड़ा प्रभाव
साने ताकाइची की आर्थिक नीतियाँ जापान को नई दिशा दे रही हैं, और आने वाले महीनों में येन की मजबूती एशियाई बाजारों के लिए निर्णायक होगी। वहीं, भारत का बैंक ऑफ महाराष्ट्र में हिस्सेदारी बेचने का फैसला यह दर्शाता है कि सरकार PSU बैंकिंग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आगे बढ़ रही है।
दोनों घटनाएँ 2026 के वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को नई गति देने वाली साबित हो सकती हैं।


