क्या आपने कभी सोचा कि एक रिपोर्ट कैसे एक साम्राज्य को हिला सकती है? समय पे न्यूज़ की खोज के अनुसार, 19 सितंबर 2025 को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने अरबपति गौतम अदानी और उनके ग्रुप के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंदनबर्ग रिसर्च के स्टॉक मैनिपुलेशन और फाइनेंशियल फ्रॉड आरोपों को खारिज कर दिया। 2023 में हिंदनबर्ग की 106-पेज की रिपोर्ट ने अदानी ग्रुप की मार्केट वैल्यू को $100 बिलियन से अधिक गिरा दिया था। क्या यह अदानी हिंदनबर्ग SEBI वर्डिक्ट अदानी साम्राज्य के लिए राहत है? आइए इस फैसले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
SEBI ने 2023 में हिंदनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अदानी ग्रुप की जाँच शुरू की थी। रिपोर्ट में स्टॉक मैनिपुलेशन, अकाउंटिंग अनियमितताएँ, और ऑफशोर शेल कंपनियों के ज़रिए शेयर कीमतें बढ़ाने के आरोप लगाए गए थे। लेकिन गुरुवार को SEBI ने कहा कि जाँच में कोई नियामकीय उल्लंघन साबित नहीं हुआ। बोर्ड ने फैसला सुनाया, “अदानी कंपनियों और संबंधित पक्षों के बीच कोई लेन-देन नहीं था, इसलिए निवेशकों को खुलासा करने की ज़रूरत नहीं थी। यह मार्केट मैनिपुलेशन या फ्रॉड नहीं है।”
SEBI ने यह भी कहा कि अदानी कंपनियों के लोन समय पर चुकाए गए थे, और कोई पैसा सिफ़ोन ऑफ या डायवर्ट नहीं हुआ। निवेशकों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा। “मेरिट पर भी, ये लेन-देन मैनिपुलेटिव या फ्रॉडुलेंट नहीं हैं,” SEBI के ऑर्डर में कहा गया। गौतम अदानी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “SEBI ने हमेशा जो कहा था, उसे दोहराया है – हिंदनबर्ग के दावे आधारहीन थे।” क्या आप इस अदानी हिंदनबर्ग SEBI वर्डिक्ट से सहमत हैं?
हिंदनबर्ग रिपोर्ट का प्रभाव
24 जनवरी 2023 को हिंदनबर्ग रिसर्च, जो शॉर्ट-सेलिंग में विशेषज्ञ है, ने अदानी ग्रुप पर 106-पेज की रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में कहा गया कि अदानी ग्रुप ने ऑफशोर शेल कंपनियों के ज़रिए शेयर कीमतें हेरफेर कीं। रिपोर्ट के बाद अदानी ग्रुप की मार्केट वैल्यू $100 बिलियन से अधिक गिर गई, और शेयरों में भारी गिरावट आई। यह भारत के कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट थी।
रिपोर्ट ने राजनीतिक विवाद भी पैदा किया। मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी की BJP पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। अदानी को मोदी के करीबी माना जाता है, और विपक्ष ने कहा कि राजनीतिक संबंधों से अदानी को फायदा हुआ। अदानी ने हमेशा इन आरोपों का खंडन किया है।
SEBI की जाँच और फैसला
SEBI ने हिंदनबर्ग रिपोर्ट के बाद तुरंत जाँच शुरू की। दो साल की लंबी जाँच के बाद, बोर्ड ने अदानी कंपनियों पर लगे कुछ प्रमुख आरोपों को खारिज कर दिया। SEBI ने कहा कि संबंधित पक्षों के बीच कोई लेन-देन नहीं था, इसलिए खुलासा की ज़रूरत नहीं थी। लोन समय पर चुकाए गए थे, और कोई फंड डायवर्शन नहीं हुआ। निवेशकों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा।
हालाँकि, SEBI ने 22 अन्य मामलों – जैसे इनसाइडर ट्रेडिंग और पब्लिक फ्लोट वॉयलेशन – को पेंडिंग रखा है। ये मामले जल्द तय हो सकते हैं। अदानी ग्रुप ने हमेशा इन आरोपों को ‘बेसलेस’ बताया था।
हिंदनबर्ग रिसर्च का अंत
हिंदनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नेट एंडरसन ने इस साल की शुरुआत में कंपनी को बंद करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे दोस्तों और परिवार के साथ अधिक समय बिताना चाहते हैं। कंपनी 8 साल चली, और अदानी रिपोर्ट इसका सबसे बड़ा विवाद था। क्या यह अदानी हिंदनबर्ग SEBI वर्डिक्ट हिंदनबर्ग के आरोपों का अंत है?
राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव
अदानी हिंदनबर्ग SEBI वर्डिक्ट ने राजनीतिक बहस को फिर से हवा दी। कांग्रेस ने कहा कि SEBI का फैसला पक्षपातपूर्ण है। अदानी ग्रुप ने कहा कि यह उनकी पारदर्शिता का प्रमाण है। आर्थिक रूप से, अदानी शेयरों में 2% की तेज़ी आई। अदानी ग्रुप की मार्केट कैप $200 बिलियन से अधिक हो गई।
अदानी ग्रुप ने हिंदनबर्ग पर मानहानि का मुकदमा भी दायर किया था, जो अभी चल रहा है। SEBI का फैसला अदानी के पक्ष में एक बड़ा कदम है।
अदानी ग्रुप का भविष्य
अदानी ग्रुप, जो पोर्ट्स, एनर्जी, और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सक्रिय है, अब नई ऊँचाइयों पर है। गौतम अदानी एशिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। यह अदानी हिंदनबर्ग SEBI वर्डिक्ट उनके साम्राज्य को मज़बूती देगा।
निष्कर्ष: अदानी हिंदनबर्ग SEBI वर्डिक्ट भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक नया अध्याय लिख रहा है। SEBI का फैसला अदानी के लिए राहत है, लेकिन पेंडिंग मामलों का इंतज़ार है। समय पे न्यूज़ पर ऐसे ही ताज़ा अपडेट्स के लिए बने रहें। नीचे कमेंट करें और बताएँ कि आप इस अदानी हिंदनबर्ग SEBI वर्डिक्ट के बारे में क्या सोचते हैं!