FY27 तक कच्चे तेल की कीमतें $30 तक गिर सकती हैं: JP Morgan का बड़ा अनुमान
वैश्विक ऊर्जा बाज़ार के लिए आने वाले साल बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। दुनिया की प्रमुख इन्वेस्टमेंट बैंक JP Morgan ने एक बोल्ड अनुमान जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि FY27 के अंत तक ब्रेंट क्रूड की कीमतें $30s तक फिसल सकती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरावट किसी मंदी के कारण नहीं बल्कि सप्लाई में तेज़ी से बढ़ोतरी और डिमांड के मुकाबले भारी ग्लट (अधिशेष) बनने की वजह से होने वाली है।
- FY27 तक कच्चे तेल की कीमतें $30 तक गिर सकती हैं: JP Morgan का बड़ा अनुमान
- तेल की मांग बढ़ेगी, लेकिन सप्लाई उससे भी अधिक तेज़ी से बढ़ेगी
- Non-OPEC+ सप्लाई बनेगी सबसे बड़ा गेम चेंजर
- ग्लोबल इन्वेंटरी में रिकॉर्ड बिल्ड-अप, बाजार पर बढ़ाएगा दबाव
- FY27 में कीमतें $30 तक—कैसे संभव होगा यह गिरावट?
- भारत को मिलेगा बड़ा फायदा — क्यों?
JP Morgan कहती है कि आने वाले 2–3 सालों में Non-OPEC+ देशों की सप्लाई इतनी तेज़ी से बढ़ेगी कि डिमांड उसका पूरा मुकाबला नहीं कर पाएगी। इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा और तेल लगातार दबाव में रह सकता है। यह अनुमान खासकर भारत जैसे देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करते हैं।
तेल की मांग बढ़ेगी, लेकिन सप्लाई उससे भी अधिक तेज़ी से बढ़ेगी
रिपोर्ट बताती है कि:
2025 में ग्लोबल ऑयल डिमांड 0.9 mbd (मिलियन बैरल प्रतिदिन) बढ़कर 105.5 mbd तक पहुंच जाएगी।
2026 में मांग स्थिर रहेगी, जबकि
2027 में मांग 1.2 mbd तक तेज़ी पकड़ सकती है।
हालांकि, समस्या डिमांड में नहीं बल्कि सप्लाई की अत्यधिक वृद्धि में है।
JP Morgan का अनुमान है कि:
2025 और 2026 में सप्लाई डिमांड की तुलना में लगभग तीन गुना तेज़ी से बढ़ेगी।
2027 में सप्लाई की रफ्तार थोड़ी कम होगी, लेकिन फिर भी बाजार के लिए यह वृद्धि संभालना मुश्किल होगा।
इसका मतलब यह है कि दुनिया भर में इतना तेल उपलब्ध होगा, जितना खपत के लिए पर्याप्त नहीं होगा, और नतीजा होगा—भावों में तेज़ गिरावट।
Non-OPEC+ सप्लाई बनेगी सबसे बड़ा गेम चेंजर
तेल बाजार पर अब तक OPEC+ का काफी दबदबा रहा है, लेकिन JP Morgan का मानना है कि अगले तीन सालों में आधी नई सप्लाई Non-OPEC+ देशों से आएगी।
1. ऑफशोर सेक्टर का जबरदस्त उभार
कभी महंगा और जोखिम भरा माना जाने वाला ऑफशोर ऑयल सेक्टर अब बेहद प्रभावी हो चुका है।
रिपोर्ट के अनुसार:
2025 में 0.5 mbd
2026 में 0.9 mbd
2027 में 0.4 mbd
नई ऑफशोर सप्लाई जोड़ दी जाएगी।
लगभग सभी बड़े FPSO प्रोजेक्ट्स 2029 तक पहले ही मंज़ूर किए जा चुके हैं, यानी आने वाली सप्लाई को लेकर भरोसा बेहद मजबूत है।
2. शेल ऑयल की लचीलापन
शेल ऑयल को वैश्विक सप्लाई का सबसे तेज़ और लचीला स्रोत माना जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार:
2025 में 0.8 mbd सप्लाई बढ़ी थी,
2026 में 0.4 mbd,
2027 में 0.5 mbd तक बढ़ोतरी हो सकती है।
शेल प्रोडक्शन में अमेरिका के साथ-साथ अर्जेंटीना का Vaca Muerta फील्ड बड़ा रोल निभाएगा।
ग्लोबल इन्वेंटरी में रिकॉर्ड बिल्ड-अप, बाजार पर बढ़ाएगा दबाव
JP Morgan ने एक महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किया है—
इस वर्ष अब तक वैश्विक इन्वेंटरी में 1.5 mbd अतिरिक्त तेल जमा हुआ है।
इसमें से लगभग 1 mbd चीन और Oil-on-Water स्टॉक्स में है।
यह अतिरिक्त स्टॉक 2026 में भी बाजार में सप्लाई का काम करेगा।
अगर OPEC+ देशों ने उत्पादन नहीं घटाया, तो:
2026 में सप्लाई अधिशेष 2.8 mbd हो सकता है
2027 में 2.7 mbd रह सकता है
इतनी बड़ी मात्रा में अतिरिक्त तेल कीमतों पर भारी दबाव डालेगा।
FY27 में कीमतें $30 तक—कैसे संभव होगा यह गिरावट?
JP Morgan का मॉडल बताता है कि:
2026 में ब्रेंट क्रूड $60 से नीचे आ सकता है
2026 Q4 तक कीमतें $50s के निचले स्तर में जा सकती हैं
2027 में औसत कीमत $42 हो सकती है
और FY27-end तक कीमतें $30s में पहुंच सकती हैं
हालांकि बैंक यह भी जोड़ता है कि यह “फुल-स्केल गिरावट” तभी होगी जब OPEC+ सप्लाई कट्स में देरी करेगा।
फिर भी, बैंक का आधिकारिक Brent फोरकास्ट 2026 के लिए $58 है।
भारत को मिलेगा बड़ा फायदा — क्यों?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है।
यदि कीमतें $50 या $30 तक गिरती हैं, तो:
पेट्रोल-डीजल महंगा होने की आशंका घटेगी
सरकारी फिस्कल डेफिसिट कम होगा
रुपये पर दबाव घटेगा
महंगाई (Inflation) में राहत मिल सकती है
स्टॉक्स में—एयरलाइन, पेंट, ऑटो, FMCG सेक्टर को बड़ा फायदा
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक सकारात्मक शॉक साबित हो सकता है।


