2025 में भारत का IPO मार्केट दुनियाभर में टॉप पर, पर फंडिंग में चीन और अमेरिका से पीछे

EY Global IPO Trends Report 2025

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भारत में 2025 की पहली छमाही में IPO की संख्या कम हुई लेकिन क्वालिटी ऑफरिंग ने निवेशकों का भरोसा बनाए रखा।EY Global IPO Trends Report 2025

भारत का IPO मार्केट 2025 में एक्शन में, पर फंडिंग में अमेरिका और चीन से पीछे क्यों है?
2025 की पहली छमाही में भारत ने शेयर बाज़ार में जबरदस्त हलचल दिखाई है। EY Global IPO Trends रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया के सबसे ज्यादा IPO करने वाले देशों में शामिल है। लेकिन एक सवाल अब भी बना हुआ है – फंडिंग के मामले में हम अब भी अमेरिका और चीन से पीछे क्यों हैं?

चलिए इस पूरे परिदृश्य को इंसानी नजरिए से समझते हैं।

नंबर ज़रूर बड़े हैं, पर गिरावट भी साफ दिखी

जनवरी से जून 2025 तक भारत में कुल 108 कंपनियों ने IPO के ज़रिए $4.6 अरब जुटाए। सुनने में ये आंकड़े दमदार लग सकते हैं, लेकिन असलियत ये है कि IPO की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 30% की गिरावट आई है।

हालांकि फंडिंग में सिर्फ 2% की गिरावट हुई है। इसका मतलब साफ है — IPO भले कम हुए हों, पर जो हुए उन्होंने गुणवत्ता और साइज दोनों में दम दिखाया।

क्यों बदल रही है बाजार की रणनीति?

EY की रिपोर्ट कहती है कि अब कंपनियां “कभी भी IPO कर लो” वाली सोच से बाहर निकल चुकी हैं। अब वो ज्यादा सोच-समझ कर, सही टाइम और वैल्यूएशन पर मार्केट में आना चाहती हैं। वहीं दूसरी तरफ, निवेशक भी ऐसी कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं जिनके फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग हों और ग्रोथ क्लियर हो।

साफ है, अब मार्केट “कम लेकिन बेहतर” के सिद्धांत पर चल रहा है।

ग्लोबल माहौल की भूमिका

दुनियाभर में इस समय भू-राजनीतिक तनाव, महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई है। इसकी वजह से कई बड़ी कंपनियों ने अपने IPO प्लान को या तो टाल दिया है या फिर वैल्यूएशन में कटौती कर दी है।

लेकिन EY का मानना है कि 2025 की दूसरी छमाही में हालात सुधर सकते हैं।

कौन-कौन से सेक्टर लाइन में हैं?

रिपोर्ट के मुताबिक, तकनीकी (tech), फिनटेक (fintech) और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर में कई कंपनियां SEBI से अप्रूवल ले चुकी हैं और सही समय का इंतजार कर रही हैं। यानी जैसे ही बाज़ार में सकारात्मक माहौल बनेगा, इनका IPO लॉन्च हो सकता है।

भारत का P/E रेशियो – आत्मविश्वास या दबाव?

भारत में IPO बाज़ार का P/E रेशियो लगभग 27x है, जो अमेरिका के बराबर है। इसका मतलब है कि निवेशकों का भरोसा बना हुआ है, लेकिन इसका ये भी मतलब है कि कंपनियों को अपनी वैल्यूएशन साबित करने का दबाव भी रहेगा।

रिटेल निवेशक बने हुए हैं एक्टिव

एक दिलचस्प बात ये भी है कि रिटेल इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी अब भी बनी हुई है। भले ही ग्लोबल स्तर पर डर हो, लेकिन भारत में इक्विटी का क्रेज कायम है।

साथ ही रेगुलेटरी माहौल भी अब तक IPO फ्रेंडली रहा है, जिससे कंपनियों को listing में दिक्कत नहीं हो रही।

दुनियाभर का हाल

अमेरिका में 2025 की पहली छमाही में 109 IPO हुए, जो 2021 के बाद सबसे ज्यादा हैं, लेकिन फंडिंग कम हुई।

चीन में IPO की संख्या में 30% की बढ़ोतरी हुई और फंडिंग तीन गुना बढ़ गई। इसकी वजह रही वहां के बड़े ऑफरिंग्स और मजबूत निवेशक मांग।

भारत का IPO ट्रेंड यहां से थोड़ा अलग रहा – IPO की संख्या घटी लेकिन फंडिंग लगभग स्थिर रही। इसका सीधा मतलब है कि अब निवेशक “क्वालिटी ओवर क्वांटिटी” की सोच अपना रहे हैं।

आगे क्या?

EY रिपोर्ट दो संभावनाएं रखती है:

अगर ग्लोबल ट्रेड में सुधार होता है, ब्याज दरें घटती हैं और राजनीतिक तनाव कम होता है, तो दूसरी छमाही में IPO मार्केट में रफ्तार आ सकती है।

लेकिन अगर महंगाई बनी रहती है, ब्याज दरें ऊंची बनी रहती हैं या कोई नया भू-राजनीतिक संकट खड़ा हो जाता है, तो मार्केट फिर वेट एंड वॉच मोड में चला जाएगा।

निष्कर्ष: भारत का IPO मार्केट अब परिपक्व हो रहा है2025 के आंकड़े हमें एक बड़ा ट्रेंड दिखाते हैं — भारत का IPO बाजार अब सिर्फ संख्या की दौड़ में नहीं है, बल्कि क्वालिटी और सस्टेनेबिलिटी पर फोकस कर रहा है। ये बदलाव सिर्फ कंपनियों की रणनीति नहीं, बल्कि निवेशकों की सोच में भी दिख रहा है।

अब देखना ये होगा कि साल की दूसरी छमाही में बाजार किस ओर रुख करता है – क्या IPO की रफ्तार फिर से बढ़ेगी या कंपनियां और निवेशक सतर्क बने रहेंगे?

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