IRDAI ने Policybazaar पर ठोका ₹5 करोड़ का जुर्माना, भ्रामक प्रचार और नियामकीय उल्लंघन बने वजह

"बीमा बेचने में जल्दबाज़ी, नियमों की उड़ाई धज्जियाँ, अब चुकानी पड़ी भारी कीमत"

Dev
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Policybazaar पर IRDAI की बड़ी कार्रवाई, ₹5 करोड़ का जुर्माना लगा भ्रामक बीमा प्रचार के लिएIRDAI

IRDAI की बड़ी कार्रवाई: Policybazaar पर ₹5 करोड़ का जुर्माना

देश की बीमा रेगुलेटरी संस्था IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने Policybazaar पर ₹5 करोड़ का जुर्माना ठोका है। वजह? कंपनी ने न सिर्फ 11 अलग-अलग नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि बीमा उत्पादों का भ्रामक प्रचार, प्रीमियम जमा करने में देरी, और रिकॉर्ड रखने में गड़बड़ी जैसी गंभीर ग़लतियाँ भी कीं।

यह कार्रवाई न केवल Policybazaar के लिए झटका है, बल्कि यह सभी बीमा ग्राहकों और कंपनियों के लिए चेतावनी भी है कि पारदर्शिता और नियामकीय अनुपालन को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

क्यों लगा ₹5 करोड़ का जुर्माना?

IRDAI के ऑर्डर के मुताबिक, Policybazaar पर निम्नलिखित बड़े उल्लंघन पाए गए:

भ्रामक और पक्षपाती बीमा उत्पाद प्रचार

बिना किसी मानक आधार के बीमा उत्पादों को “Top” या “Best” करार देना

बीमा प्रीमियम को समय पर इंश्योरेंस कंपनियों को ट्रांसफर न करना

टेलीमार्केटिंग के ज़रिए बेचे गए हज़ारों पॉलिसियों को सही तरीके से ट्रैक न करना

Key Managerial Personnel (KMPs) का दूसरे कंपनियों में डायरेक्टर होना बिना पूर्व अनुमति के

“Top Plans” की हकीकत: पक्षपात या मार्केटिंग?

IRDAI ने अपनी जांच में पाया कि Policybazaar ने अपने वेबसाइट पर कुछ विशेष ULIP और हेल्थ प्लान्स को “Top” या “Best” कहकर प्रचारित किया।

जैसे ULIP सेक्शन में केवल 5 कंपनियों के प्लान्स दिखाए गए, जबकि बाकी कंपनियों के साथ भी कंपनी के एग्रीमेंट थे। इससे कुछ चुनिंदा कंपनियों के उत्पादों को प्रमुखता दी गई — बिना किसी स्वतंत्र डेटा या विश्लेषण के।

“यह प्रचार ग्राहकों को गुमराह करता है और एक पक्षपातपूर्ण छवि बनाता है,” — IRDAI ऑर्डर

IRDAI नियमों के अनुसार, “Best”, “Top”, “No.1” जैसे शब्द तभी उपयोग किए जा सकते हैं जब वे स्वतंत्र और पारदर्शी स्रोतों पर आधारित हों।

प्रीमियम जमा करने में देरी: ग्राहक का पैसा लटका?

Policybazaar पर एक और गंभीर आरोप ये है कि कंपनी ने ग्राहकों से बीमा प्रीमियम लेकर उसे बीमा कंपनियों को समय पर ट्रांसफर नहीं किया।

कानून के अनुसार, प्रीमियम को 24 घंटे के भीतर बीमा कंपनी तक पहुंचना चाहिए।

लेकिन Policybazaar ने इसे 3 कार्यदिवस तक रोका रखा।

67 पॉलिसी की जांच में पाया गया कि कुछ मामलों में यह देरी 30 दिन से ज्यादा तक की थी।

IRDAI ने इसे बीमा अधिनियम, 1938 की Section 64VB का उल्लंघन माना है।

टेलीमार्केटिंग बिक्री में गड़बड़ी

IRDAI ने यह भी उजागर किया कि 97,780 पॉलिसी रिकॉर्ड्स “Unassisted” या “Unmapped” थे। यानी यह रिकॉर्ड नहीं किया गया कि इन पॉलिसियों को किसने बेचा।

नियमों के अनुसार, टेलीमार्केटिंग के ज़रिए हर पॉलिसी को एक Authorised Verifier (AV) से जोड़ना ज़रूरी है, जिससे ट्रैकिंग और जवाबदेही बनी रहे।

“डेटा की इस कमी ने यह असंभव बना दिया कि किसने पॉलिसी बेची और किस तरीके से” — IRDAI

क्या ये पहली बार हुआ है?
Policybazaar ने फरवरी 2024 में अपना Composite Broker License हासिल किया। लेकिन यह जुर्माना उस समय का है जब वह Insurance Web Aggregator (IWA) के रूप में कार्य कर रही थी।

यानी IRDAI ने यह सुनिश्चित किया कि पूर्व के कामों की भी जवाबदेही तय हो। यह नियामक व्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि पूर्व कार्यों के लिए भी आज की कार्रवाई हो सकती है।

ग्राहक क्या सीखें इससे?
यह पूरा मामला एक रेड फ्लैग है उन ग्राहकों के लिए जो ऑनलाइन बीमा खरीदते हैं। नीचे कुछ बातें हैं जो हर ग्राहक को ध्यान में रखनी चाहिए:

“Top” या “Best” शब्दों से प्रभावित न हों, जांच करें।

IRDAI द्वारा मान्यता प्राप्त साइटों से ही खरीदारी करें।

अगर पॉलिसी कंफ्यूजन लगे, तो सीधे कंपनी से बात करें।

Samay Pe News की राय
Policybazaar एक बड़ा नाम है, और लाखों लोग उस पर भरोसा करते हैं। लेकिन इस तरह की चूकें न केवल ब्रांड को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि उद्योग में भरोसे की नींव को भी हिला देती हैं।

इस मामले में IRDAI की कड़ी कार्रवाई यह दिखाती है कि बीमा उद्योग में पारदर्शिता और निष्पक्षता कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है।

आगे क्या?
अगर Policybazaar सुधारात्मक कदम उठाती है और अपने प्लेटफॉर्म को अधिक पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल बनाती है, तो वह दोबारा विश्वास जीत सकती है।

उम्मीद है कि बाकी बीमा एग्रीगेटर और ब्रोकर कंपनियां इस घटना से सबक लेंगी और नियमों के तहत काम करना सीखेंगी।

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