नई PF निकासी गाइडलाइन्स: अब बदल गए भविष्य निधि निकालने के नियम — जानिए पूरी जानकारी

“PF निकालना हुआ आसान या मुश्किल? EPFO के नए नियमों से बढ़ी कर्मचारियों की चिंता और विपक्ष की नाराज़गी।”

Dev
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EPFO ने PF निकासी के 13 जटिल नियमों को मिलाकर तीन सरल श्रेणियों में बांटा — लेकिन नए प्रावधानों ने बढ़ाई कर्मचारियों की परेशानी।नई PF निकासी गाइडलाइन्स

मीटिंग में लिया गया बड़ा फैसला

कर्मचारियों के भविष्य निधि (PF) से जुड़ा एक बड़ा फैसला 13 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में हुई Employees Provident Fund Organisation (EPFO) की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ (CBT) की बैठक में लिया गया।
सरकार ने दावा किया कि ये बदलाव “Ease of Living” यानी कर्मचारियों की सुविधा बढ़ाने के लिए किए गए हैं, लेकिन इससे कर्मचारियों और यूनियनों में हलचल मच गई है।

इस बैठक में PF निकासी से जुड़े 13 पुराने और जटिल प्रावधानों को एकजुट कर तीन श्रेणियों में बांटा गया है —

  1. आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, विवाह)

  2. आवास संबंधी जरूरतें

  3. विशेष परिस्थितियां

पहले जहां सदस्य सिर्फ अपने कर्मचारी योगदान और उस पर मिले ब्याज का 50% से 100% हिस्सा निकाल सकते थे, अब वे नियोक्ता (Employer) के योगदान से भी पैसा निकाल सकेंगे।

क्या बदले हैं PF निकासी के नियम

नए नियमों के अनुसार, अब कर्मचारी अपने PF अकाउंट का पूरा बैलेंस (Employee + Employer share) निकाल सकते हैं।
हालांकि इसके साथ एक शर्त जोड़ी गई है — कर्मचारी को हमेशा अपने खाते में 25% न्यूनतम बैलेंस रखना होगा।

इसका मतलब है कि भले ही कोई कर्मचारी किसी वजह से PF निकालना चाहे, वह अपने पूरे खाते को खाली नहीं कर सकेगा।
यह प्रावधान EPFO के अनुसार “लॉन्ग टर्म सिक्योरिटी” बनाए रखने के लिए है, लेकिन कई कर्मचारियों ने इसे सीमित करने वाला कदम बताया है।

नौकरी छोड़ने पर अब तुरंत नहीं मिलेगा पूरा PF

अब तक नियम था कि नौकरी छोड़ने के दो महीने बाद कर्मचारी अपना पूरा PF निकाल सकते थे।
लेकिन नए प्रावधान के मुताबिक, अब यह अवधि 12 महीने कर दी गई है।

सरकार ने कहा है कि इससे कर्मचारी जल्दबाजी में PF निकालने से बचेंगे और अपनी सेविंग्स सुरक्षित रख सकेंगे।
अब व्यक्ति को नौकरी छोड़ने के बाद 75% राशि तुरंत, और शेष 25% राशि एक साल बेरोजगार रहने के बाद निकालने की अनुमति होगी।

इसी तरह फाइनल पेंशन निकालने का समय भी बदल दिया गया है —
अब इसे दो महीने की बजाय 36 महीने (तीन साल) बाद ही निकाला जा सकेगा।

सरकार का तर्क: “Ease of Living” बढ़ाना

श्रम मंत्रालय और EPFO अधिकारियों ने कहा है कि ये बदलाव कर्मचारियों की सुविधा के लिए हैं।
सरकार का कहना है कि पहले PF निकासी के 13 नियम बेहद जटिल थे, जिससे सामान्य कर्मचारी को प्रक्रिया समझने में दिक्कत होती थी।

अब सभी प्रावधानों को तीन सरल श्रेणियों में लाकर न केवल प्रोसेस आसान बनाया गया है बल्कि डिजिटलीकृत भी किया गया है।
EPFO का दावा है कि इससे ऑनलाइन क्लेम प्रोसेसिंग टाइम घटेगा और कर्मचारियों को तेज़ सेवा मिलेगी।

विपक्ष और यूनियनों का विरोध

सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों और ट्रेड यूनियनों ने कड़ा विरोध जताया है।
उनका कहना है कि PF कर्मचारियों की मेहनत की जमा पूंजी होती है और सरकार को निकासी पर “कृत्रिम रोक” लगाने का अधिकार नहीं है।

INTUC, AITUC और CITU जैसी प्रमुख यूनियनों ने कहा कि 25% बैलेंस रखने की अनिवार्यता कर्मचारियों की आर्थिक स्वतंत्रता पर प्रहार है।
विपक्षी नेताओं ने भी इसे “लंबी बेरोजगारी की स्थिति में कर्मचारियों पर बोझ” बताया।

कई यूनियनों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति नौकरी छोड़ देता है, तब उसे अपने पैसों की जरूरत सबसे ज्यादा होती है —
ऐसे में 12 महीने तक इंतजार करवाना अमानवीय निर्णय है।

नियोक्ताओं और विशेषज्ञों की राय

दिलचस्प बात यह है कि इस बार नियोक्ताओं के संगठनों ने भी इस फैसले पर चिंता जताई है।
उनका कहना है कि कर्मचारी अगर जल्दी पैसा नहीं निकाल पाएंगे, तो इससे भरोसे की कमी पैदा हो सकती है।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का उद्देश्य PF को “लॉन्ग-टर्म रिटायरमेंट फंड” बनाना है, लेकिन
भारत जैसे देश में जहां अस्थायी नौकरियां और बेरोजगारी आम हैं, वहां इस तरह के प्रावधान लोगों की वित्तीय लचीलापन घटा सकते हैं।

बदलाव के पीछे सरकार का मकसद क्या है?

सरकार का कहना है कि PF अकाउंट्स में अक्सर लोग बार-बार पैसे निकालते हैं, जिससे रिटायरमेंट के समय उनके पास बहुत कम राशि बचती है।
नए नियम इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए बनाए गए हैं।

साथ ही, EPFO चाहता है कि PF अकाउंट्स को निवेश और पेंशन के स्थिर साधन के रूप में देखा जाए।
इससे लंबे समय के लिए कॉर्पस बढ़ेगा, और देश में “Formal Savings Culture” को प्रोत्साहन मिलेगा।

कर्मचारियों पर असर

नई गाइडलाइन्स से सबसे ज्यादा असर मिडिल इनकम ग्रुप और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर पड़ेगा,
जो अक्सर नौकरी बदलने या बेरोजगार होने पर PF निकाल लेते हैं।

अब उन्हें 12 महीने तक इंतजार करना पड़ेगा, जिससे उनकी कैश फ्लो पर असर पड़ सकता है।
हालांकि दीर्घकाल में यह उनके सेविंग्स और ब्याज लाभ को बढ़ा सकता है।

सोशल मीडिया और आम प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं।
कुछ ने कहा कि यह कदम “वित्तीय अनुशासन” लाने वाला है,
तो कुछ ने इसे “कर्मचारियों की आज़ादी पर रोक” बताया।

Twitter (अब X) पर एक यूज़र ने लिखा —

“सरकार ने Ease of Living के नाम पर Employees की Ease of Spending खत्म कर दी।”

जबकि कुछ लोगों ने कहा —

“अगर PF में पैसा नहीं निकाल पाएंगे, तो लोग PPF या Mutual Funds की तरफ जाएंगे।”

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