निवेश का पहला सवाल: “क्या खरीदें?” या “कैसे सोचें?”
ज़्यादातर लोग जब इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करते हैं, तो उनका पहला सवाल यही होता है—”FD करें या म्यूचुअल फंड? शेयर खरीदें या SIP करें?” लेकिन Edelweiss Mutual Fund की CEO राधिका गुप्ता मानती हैं कि ये सवाल सही नहीं, बल्कि अधूरा है।
उनके मुताबिक, सही निवेश की शुरुआत “क्या खरीदें?” से नहीं, बल्कि “कैसे सोचें?” से होती है। उनका मानना है कि निवेश करने से पहले 3 ज़रूरी बेसिक्स समझना बहुत ज़रूरी है, जो आपकी फाइनेंशियल यात्रा को मज़बूत नींव देते हैं।
निवेश की मज़बूत नींव: राधिका गुप्ता की 3 बुनियादी बातें
- बचत और निवेश में फर्क समझेंराधिका कहती हैं कि बचत और निवेश में फर्क होता है।
बचत वो पैसा है जो आप खर्च के बाद बचाते हैं।
निवेश वो प्रोसेस है जिसमें आप उस पैसे को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
अगर आप सिर्फ बचत कर रहे हैं और उसे कहीं इन्वेस्ट नहीं कर रहे, तो महंगाई धीरे-धीरे उस पैसे की वैल्यू को खा जाएगी। - रिस्क और रिटर्न की समझ रखें
हर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन—चाहे वो FD हो, म्यूचुअल फंड हो या शेयर—एक “रिस्क और रिटर्न” की कहानी है।जितना ज्यादा रिटर्न चाहिए, उतना रिस्क लेना पड़ेगा।लेकिन अगर आप कम रिस्क लेना चाहते हैं, तो रिटर्न भी सीमित होगा।
राधिका कहती हैं कि हमें ये समझना होगा कि हम कौन से लेवल के रिस्क के साथ कंफर्टेबल हैं और हमारे फाइनेंशियल गोल्स क्या हैं।
- सुरक्षा (Protection) और निवेश को अलग रखेंराधिका ने एक बेहद ज़रूरी पॉइंट उठाया—प्रोटेक्शन (जैसे इंश्योरेंस) और निवेश को कभी मिक्स न करें।
इंश्योरेंस आपकी लाइफ और इन्कम को अनफॉरसीन घटनाओं से बचाता है।
जबकि निवेश आपकी दौलत को बढ़ाने का ज़रिया है।
अगर आप दोनों को मिक्स कर देते हैं, तो न तो प्रोटेक्शन मिलती है और न सही इन्वेस्टमेंट ग्रोथ।
Mango Millionaire: प्रोडक्ट नहीं, फाउंडेशन पर फोकस
राधिका और उनके को-ऑथर निरंजन अवस्थी की नई किताब ‘Mango Millionaire’ भी इसी सिद्धांत पर आधारित है।
उन्होंने पहले फाउंडेशन के बारे में बात की है—यानी कि निवेश करने से पहले कैसे सोचें, क्या समझें और अपनी फाइनेंशियल आदतों को कैसे ठीक करें।
उनका साफ़ संदेश है—”प्रोडक्ट बाद में, फाउंडेशन पहले।”
Stocks, FD or MF? Which funds?
— Radhika Gupta (@iRadhikaGupta) July 16, 2025
Most people start their money journey by jumping too quickly into what to buy. A little bit like trying to swim without knowing how to breathe and float.
I think there are 3 basics to understand before you make an investment:
1. The difference… pic.twitter.com/vUJmHLCoqz
SIP और म्यूचुअल फंड में फर्क?
राधिका ने एक और दिलचस्प पॉइंट शेयर किया—कई लोग आज भी समझते हैं कि SIP और म्यूचुअल फंड दो अलग चीज़ें हैं। जबकि असल में SIP एक “इन्वेस्टमेंट मेथड” है, और म्यूचुअल फंड एक “प्रोडक्ट”।
SIP का मतलब है—हर महीने म्यूचुअल फंड में एक निश्चित रकम का निवेश। इसलिए दोनों में भ्रम ना पालें।
“सुनो सबकी, पोर्टफोलियो अपनी”
राधिका का सबसे दमदार मैसेज है—”आपके चाचा स्मॉलकैप्स में पैसा लगाते हैं, दोस्त क्रिप्टो का दीवाना है और पड़ोसी FD के बिना नहीं सोच सकते। लेकिन आपका पोर्टफोलियो सिर्फ आपका होना चाहिए।”
मतलब ये कि—
हर किसी की इनकम, रिस्क टॉलरेंस और फाइनेंशियल गोल्स अलग होते हैं।
इसलिए कॉपी-पेस्ट की तरह किसी और की स्ट्रैटेजी अपनाना एक भारी गलती हो सकती है।
प्रैक्टिकल उदाहरण: आप क्या कर सकते हैं?
अगर आप बिलकुल नए हैं, तो FD या लिक्विड फंड से शुरुआत करें।
अगर आपका लक्ष्य 3 साल या ज्यादा का है, तो SIP के ज़रिए म्यूचुअल फंड में निवेश बेहतर हो सकता है।
अगर आप रिस्क लेने को तैयार हैं और मार्केट समझते हैं, तो शेयर भी एक ऑप्शन हो सकता है।
और सबसे पहले—टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस ज़रूर लें।
निष्कर्ष: निवेश एक आदत है, प्रोडक्ट नहीं
राधिका गुप्ता ने जो बात कही, वो हर इन्वेस्टर को समझनी चाहिए—अच्छा निवेश किसी प्रोडक्ट से नहीं, सोच और आदतों से शुरू होता है।
अगर आप जल्दीबाज़ी में सही फैसले लेने के बजाय फाउंडेशन पर काम करते हैं, तो आपका पोर्टफोलियो न सिर्फ ग्रो करेगा, बल्कि आपकी ज़िंदगी को भी फाइनेंशियल आज़ादी की ओर ले जाएगा।