रिटायरमेंट के बाद ज़िंदगी का एक नया चैप्टर शुरू होता है — जिसमें सबसे ज़रूरी चीज़ होती है सुकून, सेफ्टी और नियमित इनकम। अगर आपके पास रिटायरमेंट के समय ₹60 लाख की पूंजी हो और हर महीने ₹10,000 से ₹20,000 की सुरक्षित इनकम की जरूरत हो, तो आप क्या करेंगे?
हमारे एक रीडर ने यही सवाल पूछा:
“मेरे पापा अभी रिटायर हुए हैं। उनके पास ₹60 लाख हैं। उन्हें हर महीने ₹10–20 हजार चाहिए। SBI वाले ULIP प्लान बेचने की कोशिश कर रहे हैं, पर मैं फंसना नहीं चाहता। मैंने SCSS, FDs, और कुछ SIPs पर सोचा है — क्या यह योजना ठीक है?”
अगर आप भी ऐसी ही परिस्थिति में हैं, तो ये आर्टिकल आपके बहुत काम आने वाला है।
सबसे पहले: ULIP को क्यों टालें?
ULIP यानी Unit Linked Insurance Plan। बैंक वाले इसे इसलिए प्रमोट करते हैं क्योंकि इससे उन्हें मोटा कमीशन मिलता है। लेकिन एक रिटायर्ड व्यक्ति के लिए ये बिलकुल सही ऑप्शन नहीं है।
ULIP क्यों नहीं चुनना चाहिए?
कम से कम 5 साल का लॉक-इन
हाई चार्जेज और खर्चे (front-load charges)
मार्केट-लिंक्ड रिटर्न (यानि रिस्क है)
बीमा और निवेश दोनों को मिलाकर उलझा हुआ प्रोडक्ट
रिटायरमेंट के बाद फोकस होना चाहिए:
पूंजी की सुरक्षा (Capital Safety)
नियमित आय (Regular Income)
लिक्विडिटी (ज़रूरत पड़ने पर पैसे निकालना आसान हो)
ULIP इन तीनों में फेल है।
तो बेहतर विकल्प क्या हैं?
Senior Citizen Savings Scheme (SCSS) – सरकारी भरोसा और अच्छी इनकम
SCSS एक गवर्नमेंट स्कीम है जो खासतौर पर सीनियर सिटिज़न्स के लिए बनी है। इसमें:
ब्याज दर: लगभग 8.2% प्रति वर्ष
हर तीन महीने में ब्याज मिलता है (यानी तिमाही पेमेंट)
मैक्स इन्वेस्टमेंट लिमिट: ₹30 लाख
टेन्उर: 5 साल (1 साल के बाद प्रीमैच्योर एग्ज़िट की सुविधा है)
अगर आपके पापा ₹30 लाख SCSS में लगाते हैं, तो उन्हें हर तिमाही ₹61,500 (लगभग ₹20,500 प्रति माह) मिल सकते हैं — यानी मासिक इनकम की ज़रूरत पूरी हो जाती है।
बैंक फिक्स्ड डिपॉज़िट (FDs) – सुरक्षित और आसान
बड़े बैंक जैसे SBI, HDFC, ICICI सीनियर सिटिज़न्स के लिए 7.5%–8% ब्याज देते हैं।
क्या करें?
₹10–12 लाख शॉर्ट टर्म FDs में लगाएं (1 साल तक की अवधि)
इसका इस्तेमाल आप अपने वेडिंग एक्सपेंस या इमरजेंसी के लिए कर सकते हैं।
FD Laddering करें — यानी पैसा 1, 2, और 3 साल की अलग-अलग FD में बांटे ताकि हर साल कुछ पैसे मैच्योर होते रहें।
Debt Mutual Funds – थोड़ा रिस्क, बेहतर लिक्विडिटी
Debt mutual funds गवर्नमेंट और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश करते हैं। ये आपको 7%–8% रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन ये पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं हैं।
लाभ:
कोई लॉक-इन नहीं
ब्याज से थोड़ा ज़्यादा रिटर्न की संभावना
लिक्विडिटी अच्छी है — कभी भी पैसे निकाल सकते हैं
कौन से फंड चुनें?
Short Duration Funds
Target Maturity Funds
इनमें जोखिम कम होता है और रिटर्न स्थिर रहते हैं।
ध्यान रखें: अब डेब्ट फंड के गैन्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होते हैं — चाहे आप कितने भी समय तक निवेश करें।
Equity SIP in Nifty 50 Fund – महंगाई को मात देने के लिए
चूंकि पापा का रिस्क प्रोफाइल कम है, तो सिर्फ 5–10% पोर्टफोलियो ही इक्विटी में लगाएं।
SIP के ज़रिए महीने का छोटा अमाउंट Nifty 50 Index Fund में लगाएं
इसका उद्देश्य महंगाई को मात देना है, ना कि इनकम पैदा करना
यह निवेश लंबी अवधि के लिए रखें — जैसे 5–10 साल।
कौन-कौन सी गलतियाँ ना करें?
❌ ULIPs या PMS जैसे हाई-कमिशन प्रोडक्ट में ना फंसे
❌ बीमा और निवेश को मिलाएं नहीं — टर्म इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट अलग रखें
❌ पूरा पैसा लॉन्ग टर्म में लॉक न करें — लिक्विडिटी ज़रूरी है
❌ Endowment Plans या Money Back Policies से दूर रहें — ये कम रिटर्न और कम लचीलापन देते हैं
संभावित पोर्टफोलियो प्लान (₹60 लाख)
निवेश साधन राशि (₹ लाख में) उद्देश्य
SCSS ₹30 लाख मासिक इनकम (₹20k के आसपास)
Bank FDs (1–2 साल) ₹10–12 लाख शादी और इमरजेंसी फंड
Debt Mutual Funds ₹12–15 लाख टैक्स-एफिशिएंट इनकम + लिक्विडिटी
Equity SIP (Nifty 50) ₹3–5 लाख लंबी अवधि में ग्रोथ और महंगाई से बचाव
शादी के लिए फंड कैसे रखें?
अगर एक साल में शादी है, तो FD या लिक्विड म्यूचुअल फंड में पैसा रखें। ताकि जब ज़रूरत हो, तुरंत निकाला जा सके।
आप ₹10 लाख को 3 हिस्सों में बांटकर:
₹3 लाख – 3 महीने FD
₹3 लाख – 6 महीने FD
₹4 लाख – 1 साल FD
…रख सकते हैं, जिससे हर 3 महीने में कैशफ्लो मिलता रहेगा।
“Samay Pe” की सलाह
आपने सही दिशा में सोचना शुरू किया है।
ULIP जैसे जाल से दूर रहें
सरकारी योजनाएं, बैंक FDs, और डेब्ट फंड का बैलेंस बनाएं
छोटी मात्रा में इक्विटी का तड़का डालें
और अगर ज़रूरत हो, तो एक SEBI रजिस्टर्ड Fee-only फाइनेंशियल एडवाइज़र से मिलें। वो बिना कमीशन के सिर्फ आपकी भलाई के लिए सलाह देगा।