SEBI ने दी मंजूरी: IPO नियमों में छूट, विदेशी निवेशकों के लिए सिंगल-विंडो, और गवर्नेंस में सुधार!

SEBI Reforms 2025: IPO और विदेशी निवेश को बूस्ट, भारतीय मार्केट्स की नई उड़ान!

Dev
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SEBI ने IPO नियमों में छूट और विदेशी निवेशकों के लिए सिंगल-विंडो सिस्टम को मंजूरी दी!SEBI Reforms IPO 2025

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने शुक्रवार को भारत के कैपिटल मार्केट्स को मजबूत करने के लिए कई बड़े सुधारों को मंजूरी दी। PTI के मुताबिक, इन सुधारों में बड़ी कंपनियों के लिए IPO नियमों में छूट, विदेशी निवेशकों के लिए सिंगल-विंडो सुविधा, और एंकर इनवेस्टर्स के लिए शेयर अलोकेशन फ्रेमवर्क में बदलाव शामिल हैं। साथ ही, मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन्स (MIIs) में गवर्नेंस को बेहतर करने के लिए दो एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स की नियुक्ति अनिवार्य की गई है। X पर #SEBIReforms और #IPONews ट्रेंड कर रहे हैं। आइए, इन सुधारों की पूरी डिटेल्स, उनके प्रभाव, और मार्केट रिएक्शन्स देखें।

SEBI की तीसरी बोर्ड मीटिंग: बड़े फैसले

Web:0, Web:1 के अनुसार, यह फैसला SEBI चीफ तूहिन कांता पांडे की अध्यक्षता में हुई तीसरी बोर्ड मीटिंग में लिया गया, जो 1 मार्च 2025 को ऑफिस जॉइन करने के बाद से उनके नेतृत्व में हुआ। The Economic Times ने बताया कि ये सुधार भारत को ग्लोबल इनवेस्टमेंट डेस्टिनेशन बनाने और कैपिटल मार्केट्स को और पारदर्शी बनाने के लिए हैं। Moneycontrol के मुताबिक, SEBI ने 2025 में भारतीय मार्केट्स को बूस्ट करने के लिए 12 बड़े प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिनमें से IPO और विदेशी निवेश से जुड़े सुधार सबसे अहम हैं।

IPO नियमों में छूट: बड़ी कंपनियों को फायदा

Web:2, Web:3, Web:8 के अनुसार, SEBI ने बड़ी कंपनियों (large companies) के लिए IPO नियमों को आसान किया है। अब ऐसी कंपनियों को मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) नियमों को पूरा करने के लिए ज्यादा समय मिलेगा। पहले, लिस्टेड कंपनियों को 3 साल में 25% पब्लिक शेयरहोल्डिंग हासिल करनी होती थी, लेकिन अब बाजार पूंजीकरण के आधार पर 5-7 साल का समय मिलेगा। Business Standard ने बताया कि यह नियम खास तौर पर उन कंपनियों के लिए है जिनका मार्केट कैप ₹1 लाख करोड़ से ज्यादा है।

इसके अलावा, IPO साइज़ की न्यूनतम आवश्यकता को भी कम किया गया है। Web:4 के मुताबिक, पहले ₹4000 करोड़ से ज्यादा वैल्यू वाली कंपनियों को अपने इश्यू का कम से कम 10% पब्लिक ऑफर करना पड़ता था, लेकिन अब यह सीमा 5% तक कम हो सकती है। इससे Reliance, Adani, और Tata जैसी बड़ी कंपनियों को मार्केट में लिस्टिंग आसान होगी। LiveMint ने बताया कि यह कदम Unicorn Startups को भी प्रोत्साहित करेगा, जैसे Byju’s और Paytm, जो IPO की तैयारी कर रहे हैं।

विदेशी निवेशकों के लिए सिंगल-विंडो

Web:0, Web:5, Web:6 के अनुसार, SEBI ने लो-रिस्क विदेशी निवेशकों के लिए सिंगल-विंडो सुविधा शुरू की है। यह सुविधा FPI (Foreign Portfolio Investors) के लिए KYC और रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को आसान करेगी। The Hindu ने बताया कि पहले FPI को कई रेगुलेटरी अप्रूवल्स और डाक्यूमेंट्स जमा करने पड़ते थे, लेकिन अब SEBI और RBI का एक इंटीग्रेटेड पोर्टल होगा। Web:7 के मुताबिक, यह सिस्टम AI-बेस्ड वैलिडेशन और रियल-टाइम अप्रूवल पर काम करेगा, जिससे प्रोसेसिंग टाइम 30 दिन से घटकर 7-10 दिन हो जाएगा।

ETMarkets ने बताया कि यह कदम MSCI Emerging Markets Index में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा, जो अभी 18.3% है। Web:9 के अनुसार, विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय डेट मार्केट्स में भी आसान एक्सेस होगा, जिससे G-Sec Bonds और Corporate Bonds में निवेश बढ़ेगा।

एंकर इनवेस्टर्स के लिए नया फ्रेमवर्क

Web:0, Web:10 के मुताबिक, SEBI ने एंकर इनवेस्टर्स के लिए शेयर अलोकेशन फ्रेमवर्क में बदलाव किया है। अब QIBs (Qualified Institutional Buyers) और HNIs (High Net-Worth Individuals) को IPO में ज्यादा हिस्सेदारी मिल सकती है। Web:11 में बताया गया कि लॉक-इन पीरियड को 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन किया गया है, ताकि मार्केट में स्टेबिलिटी बनी रहे। Moneycontrol के अनुसार, यह बदलाव Urban Company IPO और Dev Accelerator IPO जैसे हालिया IPOs की सक्सेस को देखते हुए किया गया है, जिन्होंने एंकर इनवेस्टर्स से ₹850 करोड़+ जुटाए।

गवर्नेंस में सुधार: MIIs के लिए नया नियम

Web:0, Web:12 के अनुसार, SEBI ने मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन्स (MIIs) जैसे BSE, NSE, और CDSL में गवर्नेंस को मजबूत करने के लिए दो एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स की नियुक्ति अनिवार्य की है। The Economic Times ने बताया कि इन डायरेक्टर्स का रोल रिस्क मैनेजमेंट, ऑपरेशनल ओवरसाइट, और साइबर सिक्योरिटी में होगा। Web:13 के मुताबिक, यह कदम 2023 NSE Co-location Scam जैसे इश्यूज़ को रोकने के लिए उठाया गया है।

मार्केट पर प्रभाव

Web:14, Web:15 के अनुसार, इन सुधारों से भारतीय कैपिटल मार्केट्स में ₹2 लाख करोड़+ का अतिरिक्त निवेश आ सकता है। Bloomberg ने बताया कि Sensex और Nifty ने शुक्रवार को 1.2% की उछाल दर्ज की, जो SEBI के इन ऐलानों का असर दिखाता है। Web:16 के मुताबिक, FPI Inflows 2025 में $50 बिलियन तक पहुँच सकते हैं, जो 2024 के $42 बिलियन से ज्यादा है।

LiveMint ने बताया कि Unicorn Startups को IPO लाने में आसानी होगी, जिससे Zomato, Nykaa, और Paytm जैसी कंपनियाँ प्रेरित होंगी। Web:17 के अनुसार, म्यूचुअल फंड्स और REITs में भी निवेश बढ़ेगा, क्योंकि SEBI ने इनके लिए भी नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

X पर रिएक्शन्स

X पर फाइनेंशियल कम्युनिटी ने इन सुधारों की जमकर तारीफ की:

  • “SEBI का सिंगल-विंडो सिस्टम गेम-चेंजर है! FPI के लिए भारत अब और आकर्षक। #SEBIReforms”

  • “IPO नियमों में छूट से यूनिकॉर्न्स को बूस्ट मिलेगा। अगला Zomato कौन? #IPONews”

  • “MIIs में गवर्नेंस सख्त करना सही कदम। NSE स्कैम जैसे केस अब कम होंगे। #StockMarket”

कुछ यूज़र्स ने चिंता जताई कि लॉक-इन पीरियड बढ़ने से छोटे निवेशकों का भरोसा कम हो सकता है। एक यूज़र ने लिखा, “45 दिन का लॉक-इन? रिटेल इनवेस्टर्स को और प्रोटेक्शन चाहिए। #SEBI”

रिस्क्स और चैलेंजेस

Web:18, Web:19 के अनुसार, इन सुधारों के बावजूद कुछ चुनौतियाँ हैं। FPI के लिए सिंगल-विंडो सिस्टम में डेटा सिक्योरिटी और KYC फ्रॉड की चिंता बनी हुई है। Business Standard ने बताया कि IPO नियमों में छूट से मार्केट में ओवरवैल्यूएशन का खतरा बढ़ सकता है। Web:20 के मुताबिक, गवर्नेंस में सुधार लागू करने में समय लगेगा, क्योंकि MIIs को नए डायरेक्टर्स की भर्ती में 6-12 महीने लग सकते हैं।

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