टेक CEOs का नया मंत्र: डिग्री से ज्यादा स्किल्स मायने रखती हैं

Tech CEOs: डिग्री नहीं, स्किल्स हैं भविष्य!

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टेक CEOs डिग्री पर सवाल उठाते हुए।Tech CEOs Rethink College Degrees 2025

टेक्नोलॉजी की दुनिया बदल रही है, और इसके साथ बदल रहा है करियर का रास्ता। जहाँ पहले कॉलेज डिग्री को सफलता की गारंटी माना जाता था, वहीं अब टेक इंडस्ट्री के दिग्गज CEOs कह रहे हैं कि डिग्री से ज्यादा स्किल्स मायने रखती हैं। Apple के CEO टिम कुक, Nvidia के जेन्सन हुआंग, और Palantir के एलेक्स कार्प जैसे लीडर्स ने 28 अगस्त 2025 को युवाओं को एक नया मंत्र दिया: “कॉलेज डिग्री पर समय बर्बाद करने की बजाय, स्किल्स पर फोकस करो।” X पर #RethinkCollege ट्रेंड में स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स इसे “करियर का नया रास्ता” बता रहे हैं। आइए, इस बदलते नजरिए, इसके पीछे की वजहों, और युवाओं के लिए इसके मायने समझते हैं।

टेक CEOs का नया नजरिया

Palantir के CEO एलेक्स कार्प ने हाल ही में कंपनी की Q2 अर्निंग्स कॉल में कहा, “मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कहाँ से पढ़ाई की, या पढ़ाई की भी नहीं। Palantir में काम करने के बाद आपकी करियर सेट है।” कार्प का मानना है कि डिग्री से ज्यादा यह मायने रखता है कि आप काम में क्या ला सकते हैं। उन्होंने Palantir को “टेक में सबसे बड़ा क्रेडेंशियल” बताया, चाहे आपने Harvard से पढ़ाई की हो या कोई डिग्री न हो।

Apple के CEO टिम कुक भी इस सोच से सहमत हैं। 2019 में उन्होंने कहा था, “कॉलेजों से निकलने वाली स्किल्स और भविष्य की ज़रूरतों में एक मिसमैच है।” 2023 में एक इंटरव्यू में कुक ने दोहराया कि कोडिंग जैसी स्किल्स और कोलैबोरेशन की क्षमता डिग्री से ज्यादा वैल्यूएबल हैं। Apple में 2019 में आधे से ज्यादा यूएस कर्मचारी बिना फोर-ईयर डिग्री के थे।

Nvidia के CEO जेन्सन हुआंग ने इस साल कहा कि अगर वह आज कॉलेज में होते, तो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की बजाय फिजिक्स या केमिस्ट्री जैसे फिजिकल साइंसेज चुनते। उनका मानना है कि आज का टेक वर्ल्ड डायवर्स स्किल्स की डिमांड करता है।

टेक इंडस्ट्री में ड्रॉपआउट्स का जलवा

टेक इंडस्ट्री का इतिहास ऐसे लोगों से भरा है, जिन्होंने बिना डिग्री के अरबों कमाए। बिल गेट्स (Microsoft), स्टीव जॉब्स (Apple), और मार्क ज़करबर्ग (Meta) जैसे नाम इसकी मिसाल हैं। स्टीव जॉब्स की बेटी ने अपनी किताब में लिखा कि जॉब्स का मानना था कि कॉलेज “आपके सबसे प्रोडक्टिव सालों में दूसरों की सोच सिखाता है” और क्रिएटिविटी को दबा सकता है।

हालाँकि, बिल गेट्स ने Harvard छोड़ने का अफसोस जताया था। उन्होंने CNBC को बताया कि वह “ब्रॉड नॉलेज” को वैल्यू करते हैं और ड्रॉपआउट को सिर्फ “एक्सेप्शनल केस” में सलाह देंगे। फिर भी, Napster के को-फाउंडर शॉन पार्कर, WordPress के मैट मुलेनवेग, और Oculus के पामर लकी जैसे ड्रॉपआउट्स ने बिना डिग्री के बिलियन-डॉलर कंपनियाँ बनाईं।

AI और जॉब मार्केट का बदलता माहौल

टेक इंडस्ट्री में AI का बढ़ता प्रभाव इस बदलाव की बड़ी वजह है। AI ने कस्टमर सपोर्ट और बेसिक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जैसे एंट्री-लेवल जॉब्स को रिप्लेस करना शुरू कर दिया है। नतीजा? नए ग्रैजुएट्स को हाई-पेइंग जॉब्स मिलना मुश्किल हो रहा है।

Handshake की चीफ एजुकेशन स्ट्रैटेजी ऑफिसर क्रिस्टीन क्रूज़वर्गारा ने PBS News को बताया कि 40% से ज्यादा स्टूडेंट्स अब अपनी “ड्रीम जॉब” की उम्मीद छोड़ रहे हैं। कई लोग टेक की बजाय हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स में जा रहे हैं, जहाँ डिमांड ज्यादा है।

क्यों बदल रहा है कॉलेज का महत्व?

  1. स्किल्स गैप: टिम कुक के मुताबिक, कॉलेज सिलेबस पुराना हो चुका है। कोडिंग, डेटा एनालिसिस, और AI जैसी स्किल्स अब ऑनलाइन कोर्सेज और बूटकैंप्स से सीखी जा सकती हैं।

  2. टैलेंट शॉर्टेज: Great Place to Work के CEO माइकल बुश ने Fortune को बताया कि डिग्री की शर्त हटाने से कंपनियाँ ज्यादा टैलेंट पा रही हैं।

  3. ड्रॉपआउट लीडर्स: कई CEOs खुद ड्रॉपआउट्स हैं, जिससे उनकी हायरिंग में डिग्री पर कम फोकस है।

  4. हाई कॉस्ट: US में स्टूडेंट लोन डेट 2018 में $1.5 ट्रिलियन तक पहुँच गया था, जिससे युवा कॉलेज की वैल्यू पर सवाल उठा रहे हैं।

X पर क्या कह रहे हैं लोग?
X पर #RethinkCollege ट्रेंड में स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स इस डिबेट में कूद पड़े हैं। एक यूज़र ने लिखा, “कॉलेज में लाखों खर्च करने से बेहतर है कोडिंग सीखो और स्टार्टअप जॉइन करो।” दूसरा यूज़र बोला, “AI की दुनिया में डिग्री सिर्फ एक कागज़ है।” लेकिन कुछ लोग असहमत हैं, जैसे एक ने लिखा, “डिग्री से नेटवर्किंग और बेसिक नॉलेज मिलता है, जो ज़रूरी है।”

युवाओं के लिए क्या मायने रखता है?

  • स्किल्स फर्स्ट: कोडिंग, डेटा साइंस, और AI जैसी स्किल्स सीखें। Coursera, Udemy, और Google Career Certificates जैसे प्लेटफॉर्म्स मददगार हैं।

  • बूटकैंप्स: टेक बूटकैंप्स 3-6 महीने में जॉब-रेडी स्किल्स सिखाते हैं।

  • नेटवर्किंग: LinkedIn और X पर इंडस्ट्री लीडर्स से जुड़ें।

  • पोर्टफोलियो: GitHub पर प्रोजेक्ट्स बनाएँ और शेयर करें।

चैलेंजेस

  • जॉब मार्केट: AI और ऑटोमेशन से एंट्री-लेवल जॉब्स कम हो रहे हैं।

  • स्किल्स गैप: स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री की नई डिमांड्स के लिए तैयार रहना होगा।

  • प्रेशर: बिना डिग्री के करियर बनाना रिस्की हो सकता है।

कंपनियों का बदलता रुख
कंपनियाँ जैसे Google, Apple, और IBM अब डिग्री की शर्त हटा रही हैं। IBM की VP जोआना डेले ने 2017 में CNBC को बताया कि 15% US हायर्स बिना डिग्री के थे। Palantir का Meritocracy Fellowship हाई स्कूल ग्रैजुएट्स को डायरेक्ट इंटर्नशिप देता है, जहाँ SAT/ACT स्कोर और पर्सनल स्टेटमेंट ज्यादा मायने रखते हैं।

निष्कर्ष
टेक CEOs का यह नया मंत्र—डिग्री से ज्यादा स्किल्स—युवाओं के लिए एक नया रास्ता खोल रहा है। बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स, और मार्क ज़करबर्ग जैसे ड्रॉपआउट्स ने दिखाया कि सक्सेस का कोई एक फॉर्मूला नहीं। लेकिन यह रास्ता आसान नहीं। AI और जॉब मार्केट के बदलते माहौल में स्किल्स, नेटवर्किंग, और सेल्फ-लर्निंग ही भविष्य हैं। अगर आप स्टूडेंट हैं या करियर शुरू कर रहे हैं, तो X पर #RethinkCollege जॉइन करें और इस डिबेट का हिस्सा बनें।

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