एशियाई शेयर बाजारों में उछाल: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव में नरमी, जापान का निक्केई पहुंचा रिकॉर्ड स्तर पर

एशिया के शेयर बाजारों में दीवाली जैसी रौनक – अमेरिका-चीन वार्ता की उम्मीद और जापान की नई प्रधानमंत्री के चलते निवेशकों में जोश।

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एशियाई बाजारों में तेजी – निक्केई रिकॉर्ड हाई पर, अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता से बढ़ी उम्मीदें।एशियाई शेयर बाजार

एशियाई बाजारों में उछाल: व्यापार तनाव कम होने से निवेशकों में जोश

मंगलवार को एशिया के शेयर बाजारों में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई। अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे व्यापार तनाव में नरमी के संकेतों ने निवेशकों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। वहीं, जापान में नई प्रधानमंत्री के रूप में साने ताकाइची (Sanae Takaichi) के लगभग निश्चित चयन ने भी बाजार में रौनक बढ़ा दी है।

टोक्यो का प्रमुख शेयर सूचकांक निक्केई (Nikkei) आज 0.86% की बढ़त के साथ नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। यह पहली बार है जब सूचकांक 50,000 अंकों के करीब पहुंचा है — यह जापान के बाजार इतिहास में एक अहम पड़ाव माना जा रहा है।

अमेरिका-चीन के बीच तनाव कम होने की उम्मीद

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को संकेत दिया कि वे जल्द ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच “न्यायपूर्ण व्यापार समझौता” होने की उम्मीद है और ताइवान को लेकर टकराव की संभावना को भी उन्होंने खारिज किया।

हाल के हफ्तों में अमेरिका और चीन के बीच तनाव के कारण एशियाई बाजार दबाव में थे। निवेशक अब आगामी दक्षिण कोरिया में होने वाले आर्थिक सम्मेलन के दौरान होने वाली इस मुलाकात को लेकर आशान्वित हैं।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाजारों में उछाल

MSCI का एशिया-प्रशांत इंडेक्स (जापान को छोड़कर) चार साल से अधिक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह सूचकांक 0.94% की तेजी के साथ कारोबार कर रहा था।

  • चीन के शेयर बाजार में 0.2% की हल्की बढ़त रही।

  • हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स 1% ऊपर बंद हुआ।

  • ऑस्ट्रेलिया का शेयर बाजार भी चढ़ा, जहां रेयर अर्थ और मिनरल्स कंपनियों में निवेशकों की खरीदारी देखी गई।

दरअसल, ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे ऊर्जा और खनिज कंपनियों में उत्साह बढ़ा है।

JP जापान का निक्केई बना एशिया का चमकता सितारा

जापान का निक्केई 225 इंडेक्स आज का सबसे बड़ा विजेता रहा। सूचकांक 0.86% उछलकर 50,000 के ऐतिहासिक स्तर के करीब पहुंच गया।

इस उछाल के पीछे दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं —

  1. साने ताकाइची का जापान की नई प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है।

  2. बाजार को उम्मीद है कि वे “Fiscal Dove” नीति अपनाएंगी यानी ब्याज दरों और सरकारी खर्चों में नरमी रखकर आर्थिक विकास को प्राथमिकता देंगी।

निवेशकों को भरोसा है कि नई सरकार जापान की आर्थिक वृद्धि को गति देगी और उद्योगों में स्थिरता लाएगी।

निवेशकों ने खरीदी ‘डिप’ – बाजार में लौटी रौनक

पिछले हफ्ते अमेरिकी क्षेत्रीय बैंकों में कुछ खराब ऋणों के कारण बाजार में गिरावट आई थी। इसके साथ ही अमेरिकी सरकार का शटडाउन भी निवेशकों की चिंता बढ़ा रहा था। लेकिन इस हफ्ते शुरुआत से ही स्थिति बदली है।

निवेशकों ने “Buy the Dip” की रणनीति अपनाते हुए फिर से बाजार में पूंजी लगाई है। कई विश्लेषकों का मानना है कि अब निवेशक कंपनियों के Q4 Earnings को लेकर आशावादी हैं।

Pepperstone के रिसर्च हेड क्रिस वेस्टन ने कहा —

“मार्केट ने चिंताओं की दीवार को आसानी से पार कर लिया है। नई पूंजी के आने से बाजार में ताजगी और ऊर्जा लौटी है।”

फेडरल रिज़र्व और अमेरिकी नीतियों का असर

बाजारों में तेजी का एक और कारण है — फेडरल रिज़र्व की ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद
निवेशक मान रहे हैं कि अगले दो बैठकों में दरों में कमी की जा सकती है, जिससे लिक्विडिटी बढ़ेगी और इक्विटी मार्केट्स को सहारा मिलेगा।

इसके अलावा, व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा है कि अमेरिकी सरकार का शटडाउन जल्द खत्म हो सकता है। इन बयानों ने बाजार को नई दिशा दी है।

US वॉल स्ट्रीट में भी जोश

अमेरिकी बाजारों में भी सोमवार को शानदार तेजी देखी गई।

  • NASDAQ और S&P 500 दोनों ने ऊंचाई छुई।

  • चिप और टेक स्टॉक्स ने रिकॉर्ड स्तर बनाया।

इस बढ़त ने एशियाई बाजारों को भी मजबूत ट्रेंड दिया और मंगलवार को पूरे क्षेत्र में ‘Risk-On’ सेंटिमेंट देखने को मिला।

क्या आगे भी कायम रहेगी ये तेजी?

विश्लेषकों का मानना है कि यह तेजी टिकाऊ हो सकती है यदि —

  • अमेरिका-चीन वार्ता में सकारात्मक परिणाम निकलता है,

  • जापान की नई सरकार आर्थिक सुधारों को गति देती है,

  • और अमेरिकी ब्याज दरें घटती हैं।

हालांकि, बाजार विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह तेजी अभी शुरुआती दौर में है। भू-राजनीतिक तनाव और तेल की कीमतें भविष्य में इसे प्रभावित कर सकती हैं।

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