दिवाली के मौके पर जब दर्शकों को बड़े पर्दे पर रोमांच और मनोरंजन की उम्मीद थी, तब बॉलीवुड लेकर आया Milap Milan Zaveri की नई फिल्म Ek Deewane Ki Deewaniyat। नाम से ही लगता है कि कहानी किसी जुनूनी प्रेमी की होगी, लेकिन फिल्म देखने के बाद जो महसूस होता है, वो सिर्फ निराशा और बोरियत है।
कहानी – जुनून नहीं, भ्रम ज्यादा
कहानी की शुरुआत होती है विक्रमादित्य भोसलें (Harshvardhan Rane) से, जो एक पॉलिटिशियन है। एक दिन उसकी नज़र पड़ती है अदा (Sonam Bajwa) पर, जो फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस है। पहली नज़र में प्यार हो जाता है, लेकिन यह प्यार जल्दी ही जुनून और पागलपन में बदल जाता है।
विक्रम चाहता है कि अदा उससे शादी करे — “किसी भी कीमत पर”। और यहीं से फिल्म ‘तेरे नाम’ और ‘रांझणा’ की कॉपी-पेस्ट लगने लगती है। अदा जब मना करती है तो उसका करियर खत्म कर दिया जाता है, वो फिल्में खो देती है, और पब्लिक की नज़रों से भी गायब हो जाती है।
फिल्म कोशिश करती है कि इसे “दीवानगी वाला प्यार” बताया जाए, लेकिन यह असल में एक toxic obsession है।
किरदारों की प्रस्तुति – भावनाओं से खाली अभिनय
हर्षवर्धन राणे, जो पहले Sanam Teri Kasam में दर्शकों का दिल जीत चुके हैं, यहां पूरी तरह खोए हुए लगते हैं। उनका चेहरा और संवाद दोनों ही भावनाहीन हैं। हर सीन में वो या तो स्लो मोशन में चलते नजर आते हैं या कैमरे में खोए रहते हैं।
सोनम बाजवा खूबसूरत जरूर दिखती हैं, लेकिन उनका किरदार इतना कमज़ोर लिखा गया है कि किसी भी सीन में वो प्रभाव नहीं छोड़ पातीं। एक सुपरस्टार अभिनेत्री जो मिडिल-क्लास घर में रहती है और बिना सिक्योरिटी घूमती है — ये सेटअप ही अवास्तविक लगता है।
शाद रंधावा का किरदार एक हाई-प्रोफाइल नेता का है, लेकिन वो सिर्फ एक बॉडीगार्ड के साथ चलते हैं। यह बात और भी हास्यास्पद बन जाती है।
स्क्रीनप्ले और डायलॉग – बेतुका और ओवरड्रामेटिक
फिल्म का स्क्रीनप्ले Mushtaq Sheikh और Milap Zaveri ने लिखा है, लेकिन ऐसा लगता है कि कहानी कहीं से भी जुड़ती नहीं। पहले हाफ में सिर्फ हर्षवर्धन की स्लो मोशन एंट्रीज़ और सोनम की एक-एक एक्सप्रेशन भरी झलकियां हैं।
दूसरे हाफ में फिल्म पूरी तरह नियंत्रण से बाहर चली जाती है। अदा का एक डायलॉग तो चौंकाने वाला है — “मैं उस इंसान के साथ सो जाऊंगी जो विक्रम को मार देगा।” सुनकर लगता है जैसे कहानी नहीं, ट्रोल मटेरियल लिखा गया है।
हर कुछ मिनट में कोई नया बैकग्राउंड म्यूज़िक बज उठता है, और आवाज़ इतनी तेज़ होती है कि संवाद सुनाई देना बंद हो जाता है।
म्यूज़िक और टेक्निकल पहलू
फिल्म का संगीत Kaushik-Guddu, Kunaal Vermaa, Rajat Nagpal, Rahul Mishra और DJ Chetas ने मिलकर दिया है। गाने ठीक-ठाक हैं, कुछ पलों में अच्छा महसूस होता है, लेकिन बार-बार संगीत डाल देने से कहानी की लय टूटती है।
कैमरावर्क अच्छा है, कुछ लोकेशन्स खूबसूरत लगते हैं, लेकिन जब कंटेंट कमजोर हो, तो विजुअल्स भी काम नहीं आते।
क्या फिल्म देखने लायक है?
अगर आप सोच रहे हैं कि ये फिल्म कोई इमोशनल या पैशनेट लव स्टोरी है — तो भूल जाइए।
यह फिल्म Instagram reels के लिए तो परफेक्ट है — कुछ डायलॉग्स या सीन क्लिप करके ‘sad edit’ बना सकते हैं — लेकिन सिनेमाघर में 2 घंटे बैठना बेहद मुश्किल है।
Milap Zaveri ने एक समय Satyameva Jayate जैसी मसाला फिल्में दी थीं, लेकिन यहां वो खुद अपनी कहानी में उलझे लगते हैं।
परफॉर्मेंस स्कोरकार्ड
| पहलू | अंक (10 में से) |
|---|---|
| कहानी | 2 |
| अभिनय | 3 |
| संगीत | 5 |
| सिनेमैटोग्राफी | 4 |
| निर्देशन | 2 |
| एंटरटेनमेंट वैल्यू | 2 |
कुल मिलाकर, Ek Deewane Ki Deewaniyat सिर्फ 3/10 की फिल्म है — न रोमांस, न ड्रामा, न इमोशन। बस कुछ “रील-वर्थी” डायलॉग्स और ओवरएक्टिंग से भरी हुई कहानी।


