FPI ने फिर दिखाया अपना प्यार — चार महीने लगातार, जुलाई में ₹3,839 करोड़ का निवेश!

6 Min Read
FPIs invested ₹3,839 crore back into Indian markets

अरे यार, याद है न जब मार्केट में अजीब-सा सन्नाटा था? जनवरी–फरवरी में FPIs (फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स) ने जमकर बिकवाली की थी — ₹1 लाख करोड़ से ज्यादा सिर्फ़ दो महीनों में निकाल दिया था। उसके बाद लगा कि शायद भारत की कहानी अब खत्म हो गई… लेकिन क्या पता, कुछ इंतज़ार में कितना बदलाव हो जाता है!

जुलाई की राहत — लेकिन साथ में सतर्कता भी

डेटा कहता है: जुलाई में FPIs ने ₹3,839 करोड़ वापस भारत के मार्केट में लगाया।

और पहले तीन महीनों—अप्रैल (₹4,223Cr), मई (₹19,860Cr), जून (₹14,590Cr)—फिर बुलंदियाँ देखने को मिलीं। (TOI、Tribune India)

तो यकीन मानिए, अभी जो हो रहा है, वो सिर्फ चार महीने की संख्या भर नहीं — बल्कि फिर से भरोसे की वापसी है।

लेकिन कहीं कोई बहुत बड़ा झटका तो नहीं?

ऐसा नहीं कि सब कुछ गोल्डमाइन की तरह स्थिर हो। ₹555 करोड़ की बिकवाली भी जुलाई में हुई — खासकर जब global tariff की आहट सुनाई दी। (ET)।

मतलब यानी, FPIs अभी भी बहुत सतर्क हैं। छोटी–छोटी खबरों से बाजार बहुत जल्दी फड़फड़ा जाता है।

इंडिया vs ग्लोबल मार्केट

भारत में Sensex और Nifty ने recent हफ्तों में MSCI EM जैसे मार्केट्स को पीछे छोड़ दिया।

लेकिन सच ये है कि Sensex अब भी अपने all-time high से लगभग 3,500 अंक नीचे है।

मतलब,भले ही फिलहाल अच्छा लग रहा हो, हमारा मार्केट अभी भी अपने Peak से थोड़ा पीछे खिंच रहा है।

क्या यह सिर्फ एक म्यूजिक होगी? या रैली की शुरुआत?

Geojit के VK Vijayakumar कहते हैं:

“पहले तीन महीने outflows थे, फिर अगले तीन महीने FPIs buying मोड में आ गए।”

मतलब, FPIs अभी भी पॉज़रियो ठंडा कर रहे हैं — कुछ primary market में निवेश जारी है, लेकिन एक्सचेंज में बिकवाली भी हो रही है। (Tribune India)

ये मिक्स्ड सिग्नल है — एक पैर आगे, एक मोड़ पीछे।

Smart Reader के लिए पॉइंट-टू-पॉइंट अपडेट

₹3,839Cr का inflow जुलाई में – अच्छी शुरुआत।

₹555Cr का outflow – सतर्कता होनी चाहिए।

ग्लोबल डर – जैसे tariff, recession signals, market-sensitive news।

Indian outperforming – मार्केट टाइटा हुआ है, पर अभी पुरानी ऊंचाई तक पहुँचने का इंतज़ार है।

Valuation चुकी: स्टॉक अब भी देखने में मंहगे लगते हैं — यानी हर कदम सोच-समझकर लेना होगा।

 मार्केट रणनीति – समझदारी से चलिए

उद्देश्य सलाह
नया निवेश बोल्ड मूव्स टालियो – बहुत सावधानी से सोचें।
लॉन्ग–टर्म होल्डर भारत की ग्रोथ से जुड़िए, पर वैल्यूएशन पहचानें।
ट्रेडर/मॉमेंटम-राइडर Global news को फॉलो करें – small triggers, big moves ला सकते हैं।
IPO-इन्वेस्टर FPIs अभी IPOs में भरोसा दिखा रहे हैं – लेकिन शेयर चुनने से पहले research ज़रूर करले।

क्या अब बाजार में बहार है?
2025 की पहली छमाही में अगर आप मार्केट से दूर भी थे, तो भी आपको पता होगा कि जनवरी-फरवरी में तो जैसे मानो विदेशी निवेशकों ने तौबा ही कर ली थी। ₹1 लाख करोड़ से ज़्यादा का आउटफ्लो! लेकिन ये नया ट्रेंड कह रहा है — “India is back in favour!”

और यही वजह है कि smallcap और midcap शेयरों में फिर से जान आई है। FPIs ने बड़े पैमाने पर quality stocks, banking और infra सेक्टर में निवेश किया है। इससे न केवल Sensex-Nifty संभले हैं, बल्कि निवेशकों का भरोसा भी लौटा है।

रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए क्या मतलब?
अब ये सवाल हर आम निवेशक के मन में होगा — “क्या हमें भी अब निवेश बढ़ा देना चाहिए?”

  • अगर आप SIP करते हैं, तो चालू रहिए — ये समय है जब आपका SIP अच्छे भाव में यूनिट्स खरीद रहा है।
  • अगर आप नया निवेश सोच रहे हैं, तो एकदम ना कूदें। थोड़ा-थोड़ा करके मार्केट में प्रवेश करें। SIP या staggered lumpsum सबसे समझदारी है।
  • IPO में पैसा लगाना है? FPIs की दिलचस्पी दिखा रही है कि quality IPOs में action आने वाला है। लेकिन हर IPO में पैसा लगाने से बेहतर होगा कि आप अच्छे फ़ंडामेंटल वाले issue चुनें।

आगे का रास्ता?
देखिए, चुनाव का साल है, global uncertainty है, oil prices भी सिर उठाए खड़े हैं — तो बहुत साफ है कि बाजार rollercoaster ride पर रहेगा। पर एक बात पक्की है — India की लम्बी दौड़ की तैयारी ज़ोरों पर है।

जैसे ही global volatility शांत होगी, FPIs और ज़्यादा पैसा भारत में डाल सकते हैं। ऐसे में, अगर आपने सही asset allocation किया है — तो आप long-term winner बन सकते हैं।

अंतिम बात: भरोसा रखिए, लेकिन आँख खुली रखिए

मार्केट में विदेशी निवेशक वापसी ज़रूर कर रहे हैं, लेकिन आज की global economy बहुत unpredictable है। इसलिए जरूरी है कि हम:

अपनी निवेश रणनीति में discipline बनाए रखें,

ज़रूरत से ज़्यादा लालच न करें,

और हर खबर पर ओवररिएक्ट भी न करें।

जैसा कि Warren Buffett कहते हैं — “Be fearful when others are greedy, and greedy when others are fearful.”

तो अब सवाल आपका है —
क्या आप FPI वापसी को एक मौका मानते हैं? या ये सिर्फ एक छोटा उछाल है?

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version