Nifty 26,000 पर, Sensex 86,000 पर — लेकिन आपका पोर्टफोलियो क्यों खून बहा रहा है?
26 नवंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने इतिहास रच दिया जब Nifty 26,000 के ऊपर निकल गया और अगले ही दिन Sensex ने 86,000 का स्तर छू लिया। निवेशकों और ट्रेडर्स के बीच उत्साह बढ़ा, टीवी स्क्रीन पर ‘ऑल-टाइम हाई’ की हेडलाइंस छा गईं, और बाजार में फिर से एक नई उछाल की उम्मीदें बनने लगीं।
- Nifty 26,000 पर, Sensex 86,000 पर — लेकिन आपका पोर्टफोलियो क्यों खून बहा रहा है?
- इंडेक्स क्यों बढ़ रहा है, लेकिन पोर्टफोलियो क्यों गिर रहा है?
- समझिए Index vs Portfolio का असली फर्क
- Smallcap और Midcap क्यों टूट रहे हैं?
- 1. वैल्यूएशन बहुत ज्यादा हो गया था
- 2. बड़े फंड्स ने profit booking की
- 3. global uncertainty + crude oil impact
- 4. retail overbuying = sharp correction
- अगर इंडेक्स इतना बढ़ा है, तो क्या यह बुल मार्केट है?
- निवेशकों के पोर्टफोलियो वास्तव में कितना गिरा है?
- तो फिर Nifty 26,000 का क्या मतलब है?
- आगे क्या होगा? Portfolio recovery कब आएगी?
- Broader market recovery 2026 के 1st half में आ सकती है
- Largecaps vs Smallcaps का अंतर धीरे-धीरे कम होगा
- Quality stocks outperform करेंगे
- क्या अभी smallcap खरीदना चाहिए?
- निष्कर्ष
लेकिन इस बाजार उत्सव के बीच एक सच्चाई बहुतों को परेशान कर रही है—
क्योंकि इंडेक्स भले ही चढ़ रहे हों, पर आम निवेशकों के पोर्टफोलियो गहरे लाल रंग में हैं।
सवाल बड़ा है—
जब Nifty 6–7% ऊपर है, Sensex रिकॉर्ड हाई पर है, तो आपका पोर्टफोलियो क्यों टूट रहा है?
इसका जवाब है Market Divergence, यानी इंडेक्स और व्यापक शेयर बाजार के बीच बढ़ती दूरी।
इंडेक्स क्यों बढ़ रहा है, लेकिन पोर्टफोलियो क्यों गिर रहा है?
पिछले एक साल में Nifty ने लगभग 6–7% का रिटर्न दिया है। लेकिन:
-
BSE SmallCap Index –5% गिरा है
-
MidCap Index सिर्फ +2% ऊपर है
यह वही कारण है जिसकी वजह से अधिकांश रिटेल निवेशकों के पोर्टफोलियो इंडेक्स हाई के बावजूद गिर रहे हैं—क्योंकि भारत में ज़्यादातर रिटेल निवेशकों की होल्डिंग में ज़्यादा Smallcap-Midcap शेयर होते हैं, न कि बड़ी कंपनियों के शेयर जिन पर Nifty आधारित है।
समझिए Index vs Portfolio का असली फर्क
1. Index केवल मजबूत शेयरों का औसत है
Nifty के 50 स्टॉक्स में से 10–12 स्टॉक्स ही कभी-कभी पूरे इंडेक्स को ऊपर खींच लेते हैं, चाहे बाकी स्टॉक्स गिर ही क्यों न रहे हों।
2025 में इंडेक्स को ऊपर खींचने वाले सेक्टर:
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BFSI (बैंकिंग और फाइनेंस)
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IT के चुनिंदा स्टॉक्स
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Power और Consumption के बड़े शेयर
ये शेयर बड़े मार्जिन, स्थिर कैश फ्लो और हाई FII इंटरेस्ट की वजह से तेज़ी में हैं।
2. लेकिन रिटेल निवेशक क्या होल्ड करते हैं?
रिटेल निवेशकों की होल्डिंग कुछ ऐसी होती है:
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midcap IT
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smallcap manufacturing
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chemical stocks
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microcap infra
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loss-making smallcap tech
इनमें FII की दखल कम होती है और वैल्यूएशन corrections तेज़ी से होते हैं। यही कारण है कि जब इंडेक्स चढ़ता है, तब भी उनके पोर्टफोलियो गिरते रहते हैं।
Smallcap और Midcap क्यों टूट रहे हैं?
1. वैल्यूएशन बहुत ज्यादा हो गया था
2023–24 में smallcaps में 150–200% तक की रैली आई थी।
2025 में इनका P/E रेश्यो कई ज़ोन्स में bubble बन गया था।
RBI, SEBI और mutual funds ने भी बार-बार चेतावनी दी थी कि:
-
smallcap valuations stretched हैं
-
liquidity कम है
-
correction आवश्यक है
और वही correction अब हो रहा है।
2. बड़े फंड्स ने profit booking की
Mutual funds और FIIs ने smallcaps से पैसा निकालकर largecaps में प्रवेश किया।
इस ‘rotation’ ने smallcaps को गिराया और Nifty को ऊपर चढ़ाया।
3. global uncertainty + crude oil impact
तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव ने छोटे व्यवसायों के margins को प्रभावित किया है।
जबकि बड़े कॉर्पोरेट इस volatility को अधिक आसानी से absorb कर लेते हैं।
4. retail overbuying = sharp correction
मई–जुलाई 2025 में retail investors ने smallcaps में भारी खरीदारी की, जिससे artificial demand बन गई।
अब जब profit booking हो रही है, तो गिरावट भी तेज़ है।
अगर इंडेक्स इतना बढ़ा है, तो क्या यह बुल मार्केट है?
हाँ—लेकिन आधा अधूरा बुल मार्केट।
इसे कहते हैं:
Narrow Bull Market
जहाँ केवल 8–10 giant stocks मार्केट को ऊपर खींचते हैं, जैसे:
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HDFC Bank
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ICICI Bank
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Reliance
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TCS
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Infosys
-
Bharti Airtel
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L&T
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NTPC / Power Grid
ये स्टॉक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन broader market नहीं।
निवेशकों के पोर्टफोलियो वास्तव में कितना गिरा है?
मार्केट डेटा दिखाता है:
-
60% रिटेल पोर्टफोलियो में 0% से –15% रिटर्न
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25% पोर्टफोलियो –15% से –35% गिरा
-
सिर्फ 15% पोर्टफोलियो Nifty के बराबर या उससे ऊपर है
इसका मतलब…
बहुत कम लोगों के पोर्टफोलियो इंडेक्स के साथ चल रहे हैं।
तो फिर Nifty 26,000 का क्या मतलब है?
Nifty एक संकेत है कि:
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भारत की बड़ी कंपनियों में स्थिरता है
-
FII का भरोसा मजबूत है
-
आर्थिक ग्रोथ जारी है
-
corporate earnings अच्छी हैं
लेकिन यह सभी स्टॉक्स की स्थिति नहीं बताता।
Nifty ऊँचा होना = आपके हर स्टॉक का ऊँचा होना नहीं है।
आगे क्या होगा? Portfolio recovery कब आएगी?
Broader market recovery 2026 के 1st half में आ सकती है
विश्लेषकों का अनुमान है कि:
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वैल्यूएशन normal होंगे
-
earnings सुधारेंगी
-
liquidity वापस आएगी
तब smallcap-midcap में हलचल आएगी।
Largecaps vs Smallcaps का अंतर धीरे-धीरे कम होगा
Market cycles में यही होता है—
संकीर्ण तेज़ी (narrow rally) → broad-based rally
Quality stocks outperform करेंगे
डेटा बताता है कि:
-
high debt कंपनियाँ गिरती रहेंगी
-
strong balance sheet companies outperform करेंगी
क्या अभी smallcap खरीदना चाहिए?
गलत वैल्यूएशन पर नहीं
Quality on dips
Strong fundamentals वाले smallcaps ही
Avoid:
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penny stocks
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loss-making microcaps
-
narrative-driven theme stocks
निष्कर्ष
Nifty 26,000 और Sensex 86,000 का रिकॉर्ड हाई भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती दर्शाता है।
लेकिन broader market correction की वजह से आम निवेशकों के पोर्टफोलियो अभी भी दबाव में हैं।
यह divergence लंबे समय तक नहीं रहता।
जैसे ही broader market मजबूत होगा, portfolios भी सुधरेंगे।
याद रखिए:
इंडेक्स तेजी दिखाता है
पोर्टफोलियो सच्चाई दिखाता है
