OG मूवी रिव्यू: पवन कल्याण का स्टारडम सेलिब्रेशन, लेकिन कहानी में दम नहीं

पवन कल्याण की स्टार पावर का जश्न, लेकिन दर्शकों के लिए अधूरी कहानी।

Dev
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‘OG’ फिल्म: पवन कल्याण के लिए बनाई गई विजुअल ट्रीट, लेकिन बाकी दर्शकों को पकड़ नहीं पाती।DVV Entertainment / OG Movie Poster

फैंस के लिए सरप्राइज, बाकियों के लिए डिसअपॉइंटमेंट

तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार पवन कल्याण का करिश्मा हमेशा से अलग ही रहा है। उनकी फिल्मों का इंतज़ार सिर्फ़ सिनेमाप्रेमी ही नहीं, बल्कि उनके लाखों-करोड़ों फैंस बड़ी बेसब्री से करते हैं। इसी बीच डायरेक्टर सुजीत ने उनकी नई फिल्म ‘They Call Him OG’ (OG) को बड़े स्तर पर रिलीज़ किया।

फिल्म को लेकर पहले से ही जबरदस्त हाइप बनी हुई थी – आखिरकार यह पावर स्टार की गैंगस्टर ड्रामा वापसी है, वो भी पूरे 13 साल बाद, उनकी पिछली फिल्म ‘पंजा’ (2011) के बाद। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या यह फिल्म वाकई उम्मीदों पर खरी उतरी है?

OG की कहानी: सामुराई से गैंगस्टर तक का सफर

फिल्म की शुरुआत होती है टोक्यो से, जहां एक युवा सामुराई ओजस गम्भीर (पवन कल्याण) एक सीक्रेट सोसाइटी के साथ ट्रेनिंग करता है। तभी याकुज़ा गैंग्स वहां हमला कर देते हैं और ओजस अकेला बचता है।

हालात उसे सत्या दादा (प्रकाश राज) के साथ खड़ा कर देते हैं, जिनका सपना मुंबई में बड़ा पोर्ट बनाने का है। वक्त बीतता है और ओजस अपनी दुनिया बसा लेता है—पत्नी कनमनी (प्रियंका मोहन) और बेटी तारा के साथ एक शांत जीवन।

लेकिन कहानी मोड़ लेती है जब विलेन ओमी भाऊ (इमरान हाशमी) उनकी खुशियों पर खतरा बन जाता है। अब OG को फिर से अपने अतीत की तरफ लौटना पड़ता है—खून, बंदूकें और बदले की दुनिया में।

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत: पवन कल्याण का स्टारडम

सच कहें तो, OG पूरी तरह से पवन कल्याण के स्टार पावर पर टिकी फिल्म है।

  • उनकी एंट्री सीन्स से लेकर फाइट सीक्वेंस तक, हर फ्रेम उन्हें सेलिब्रेट करता है।

  • डायरेक्टर सुजीत ने फिल्म को इस तरह गढ़ा है कि हर 15-20 मिनट पर पवन का कोई न कोई “elevation scene” दर्शकों को मिल जाए।

  • फैंस के लिए ये पल सिनेमाघरों में सीटियां और तालियां बजवाने वाले हैं।

लेकिन समस्या यही है कि फिल्म एक “फैन सर्विस प्रोजेक्ट” बनकर रह जाती है। इसमें दमदार कहानी, गहराई या इमोशनल कनेक्ट काफी हद तक गायब है।

इमरान हाशमी और अन्य कलाकार

बॉलीवुड स्टार इमरान हाशमी को फिल्म का बड़ा विलेन बनाया गया है। लेकिन उनका किरदार इतना कमजोर लिखा गया है कि लगता है इसे कोई और भी निभा सकता था।

  • इमरान की स्क्रीन प्रेज़ेंस है, लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें चमकने का मौका नहीं देती।

  • प्रियंका मोहन को सिर्फ़ ग्लैमर और इमोशनल सपोर्ट तक सीमित रखा गया है।

  • वहीं, प्रकाश राज हमेशा की तरह मजबूत दिखते हैं लेकिन रोल उतना बड़ा नहीं है।

डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले

सुजीत, जिन्होंने पहले ‘साहो’ जैसी बिग-बजट फिल्म बनाई थी, इस बार भी बड़े पैमाने पर फिल्म रचने की कोशिश करते हैं।

  • एक्शन सीक्वेंस और विजुअल प्रेज़ेंटेशन अच्छे हैं।

  • लेकिन स्क्रीनप्ले कमजोर पड़ जाता है। कहानी में कई जगह खोखलापन और दोहराव लगता है।

  • क्लाइमेक्स तक आते-आते दर्शक समझ जाते हैं कि फिल्म ज़्यादातर स्टारडम को glorify करने तक ही सीमित है।

म्यूज़िक और टेक्निकल पहलू

फिल्म का म्यूज़िक और बैकग्राउंड स्कोर ठीक-ठाक है, लेकिन यादगार नहीं।

  • कैमरा वर्क में जापान और मुंबई दोनों की दुनिया को अच्छे से दिखाया गया है।

  • फाइट सीन्स और सेट डिज़ाइन बड़े पैमाने के हैं।

लेकिन टेक्निकल ताकत के बावजूद जब कहानी और इमोशन्स कमजोर हों, तो फिल्म दर्शकों को बांध नहीं पाती।

फैंस का रिएक्शन

पवन कल्याण के फैंस के लिए OG एक ट्रीट है।

  • सोशल मीडिया पर “मास एंट्री”, “स्टाइल”, “डायलॉग्स” को लेकर खूब तारीफें हो रही हैं।

  • लेकिन न्यूट्रल दर्शक और क्रिटिक्स इसे कमजोर प्लॉट, खराब स्क्रीनप्ले और ओवर-हाइप्ड प्रजेंटेशन की वजह से औसत मान रहे हैं।

निष्कर्ष

OG फिल्म पवन कल्याण की स्टार पावर का जश्न है, लेकिन एक मजबूत कहानी का अभाव इसे अधूरा बना देता है।

फैंस के लिए: यह फिल्म थिएटर में तालियां और सीटियां लुटवाने वाली है।
बाकी दर्शकों के लिए: यह बस एक और स्टार-वॉर्शिप प्रोजेक्ट लग सकती है, जिसमें इमोशन्स और दमदार नैरेटिव गायब हैं।

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