‘Sholay – The Final Cut’: 50 साल बाद लौट रही क्लासिक को मिला बड़ा झटका—स्क्रीन की लड़ाई शुरू
भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ फिल्में सिर्फ फिल्में नहीं, बल्कि भावनाएँ होती हैं—‘Sholay’ उन्हीं में से एक है। इस 1975 की ब्लॉकबस्टर फिल्म को 4K क्वालिटी, Dolby 5.1 साउंड और मूल 70mm 2.2:1 आस्पेक्ट रेशियो के साथ एक शानदार री-रिस्टोर वर्ज़न में फिर से थिएटर्स में रिलीज़ किया जा रहा है।
यह संस्करण ‘Sholay – The Final Cut’ नाम से 12 दिसंबर को सिनेमाघरों में उतरने जा रहा है। फिल्म में न सिर्फ दो दुर्लभ डिलीटेड सीन जोड़े गए हैं, बल्कि भारत में पहली बार इसका मूल, लंबा और असली एंडिंग भी दिखाया जाएगा।
- ‘Sholay – The Final Cut’: 50 साल बाद लौट रही क्लासिक को मिला बड़ा झटका—स्क्रीन की लड़ाई शुरू
- री-रिलीज़ का ऐलान—और स्क्रीन काउंट में उलझन
- FHF की दोहराई हुई घोषणा—1500 स्क्रीन पर अड़ा भरोसा
- इंडस्ट्री के सवाल—इतनी स्क्रीन कैसे मिलेंगी?
- ‘Dhurandhar’ का तूफान—स्क्रीन पर भारी दबाव
- Pen Marudhar का सपोर्ट—फिर भी मुश्किलें कायम
- 1500 स्क्रीन का दावा—वास्तविकता में अधूरा सपना
- दर्शकों के लिए अनुभव अनोखा—पर पहुंच सीमित
लेकिन इस भव्य वापसी के बीच, फिल्म को वह समर्थन नहीं मिल रहा जिसकी उम्मीद की गई थी।
1500 स्क्रीन पर रिलीज़ का दावा अब 1000 स्क्रीन जुटाने की जद्दोजहद में बदल चुका है।
IFFI 2025 में पहला बड़ा झटका—स्क्रीनिंग कैंसिल
फिल्म का संघर्ष तब शुरू हुआ जब यह 56वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में प्रदर्शित नहीं हो सकी।
लोगों में अफवाहें उड़ीं कि धर्मेंद्र के निधन के कारण फिल्म हटा ली गई। लेकिन बाद में एक IFFI अधिकारी ने खुलासा किया कि:
“स्क्रीनिंग तकनीकी दिक्कतों के कारण रद्द करनी पड़ी।”
यह शुरुआती गलती फिल्म की री-रिलीज़ रणनीति पर पहले ही सवाल खड़े कर गई।
री-रिलीज़ का ऐलान—और स्क्रीन काउंट में उलझन
15 नवंबर को Film Heritage Foundation (FHF) और Sippy Films ने घोषणा की कि ‘Sholay – The Final Cut’ 12 दिसंबर को रिलीज़ होगी।
FHF के सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि:
यह भारत में री-रिस्टोर फिल्म की सबसे बड़ी रिलीज़ होगी
कुल 1500 स्क्रीन पर यह फिल्म दिखाई जाएगी
यह दावा तुरंत चर्चा में आया।
लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि Sippy Films और Pen Marudhar ने अपने पोस्ट में 1500 स्क्रीन का कोई ज़िक्र नहीं किया।
यानी, शुरुआत से ही स्क्रीन काउंट को लेकर एक भ्रम की स्थिति बन गई।
FHF की दोहराई हुई घोषणा—1500 स्क्रीन पर अड़ा भरोसा
कुछ दिनों बाद FHF ने फिर घोषणा की कि:
“Sholay – The Final Cut भारत में 1500 स्क्रीन पर रिलीज़ होगी, जो किसी री-स्टोर फिल्म के लिए अब तक की सबसे बड़ी रिलीज़ है।”
और 2 दिसंबर को Sippy Films ने भी इस बयान को दुहराते हुए इसे “मासिव रिलीज़” बताया।
लेकिन इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना था कि यह संख्या व्यावहारिक रूप से संभव ही नहीं है।
और उनकी आशंका सही निकली।
इंडस्ट्री के सवाल—इतनी स्क्रीन कैसे मिलेंगी?
फिल्म इंडस्ट्री इस दावे से हैरान रह गई। कारण था कि:
यह फिल्म री-रिलीज़ है, नई नहीं।
री-रिलीज़ फिल्मों के लिए इतनी बड़ी स्क्रीन संख्या पहले कभी नहीं मिली।
पहले सबसे बड़ी री-रिलीज़ ‘Karan Arjun (1995)’ थी, जिसे 1110 स्क्रीन मिली थीं—वह भी बिना किसी मुकाबले के।
लेकिन ‘Sholay – The Final Cut’ को तो कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है।
‘Dhurandhar’ का तूफान—स्क्रीन पर भारी दबाव
शोल़े की री-रिलीज़ का हफ्ता ‘Dhurandhar’ की जोरदार पकड़ के बीच आया है।
‘Dhurandhar’ ने रिलीज़ के बाद से देशभर में:
स्क्रीन दबा रखी हैं
शो टाइमिंग्स पर कब्ज़ा किया हुआ है
सिनेमा हॉल्स को लगातार भारी फुटफॉल दे रही है
इस dominance के कारण Sholay को जगह निकालना बेहद कठिन हो गया है।
इसके अलावा उसी हफ्ते ‘Kis Kisko Pyaar Karoon 2’ भी रिलीज़ हो रही है, जिसे Disney-Star Studio18 जैसे बड़े बैनर का सपोर्ट मिला है।
यानी, ‘Sholay – The Final Cut’ को दोनों तरफ से जोरदार टक्कर मिल रही है।
Pen Marudhar का सपोर्ट—फिर भी मुश्किलें कायम
‘Sholay – The Final Cut’ की सबसे बड़ी राहत यह है कि इसके वितरक Pen Marudhar Entertainment जैसे अनुभवी और मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन हाउस हैं।
उन्होंने अपनी गुडविल और नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए कई राज्यों में स्क्रीन दिलाने की कोशिश की है।
फिर भी:
1500 स्क्रीन तो दूर,
फिल्म 1000 स्क्रीन का आंकड़ा भी मुश्किल से छू पा रही है।
यह साफ दिखाता है कि मार्केट की स्थिति कितनी कठिन है।
1500 स्क्रीन का दावा—वास्तविकता में अधूरा सपना
यदि कोई नई फ़िल्म बड़े स्टार्स के साथ रिलीज़ होती, तब भी 1500 स्क्रीन मिलना आसान नहीं होता—तो एक री-रिस्टोर वर्ज़न के लिए यह लक्ष्य और भी मुश्किल था।
फिल्म का यह संघर्ष याद दिलाता है कि:
डिजिटल युग में क्लासिक फिल्मों की जगह अब सीमित हो चुकी है
सिनेमा मालिक नई फिल्मों को प्राथमिकता देते हैं
दर्शकों की पसंद और मार्केट स्ट्रेटेजी बहुत बदल चुकी है
दर्शकों के लिए अनुभव अनोखा—पर पहुंच सीमित
जो लोग असली 70mm शोल़े थिएटर में देखने का मौका चूक चुके थे, उनके लिए यह एक भावनात्मक और ऐतिहासिक अनुभव है।
नई पिक्चर क्वालिटी, ओरिजिनल एंडिंग और दुर्लभ सीन्स इस री-रिलीज़ को खास बनाते हैं।
लेकिन स्क्रीन न मिलने के कारण:
कई शहरों में शो कम मिलेंगे
मेट्रो सिटीज़ में भी सीमित स्लॉट होंगे
छोटे शहरों में फिल्म शायद पहुंचे ही नहीं
