भारत की सबसे बड़ी IT कंपनियों में से एक Tata Consultancy Services (TCS) इन दिनों सुर्खियों में है। वजह है – कथित बड़े पैमाने पर छंटनी (layoffs)।
मंगलवार को Union of IT & ITES Employees (UNITE) ने देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया और दावा किया कि TCS लगभग 30,000 कर्मचारियों की नौकरी काटने की तैयारी कर रही है। वहीं, कंपनी ने इन दावों को “ग़लत और भ्रामक” बताते हुए खारिज कर दिया है।
यूनियन का आरोप – 30,000 नौकरियों पर खतरा
New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, UNITE ने Centre of Indian Trade Unions (CITU) के समर्थन से विरोध प्रदर्शन किया।
यूनियन का कहना है कि TCS का वास्तविक आंकड़ा कहीं बड़ा है और हजारों कर्मचारियों की नौकरियां दांव पर हैं।
उन्होंने सरकार से तुरंत दखल की मांग की है।
UNITE के Joint Secretary चंद्र शेखर आज़ाद ने The Hindu Business Line को बताया:
“अब तक जिन कर्मचारियों पर गाज़ गिरी है, उनमें एकमात्र कॉमन फैक्टर उनका अनुभव है। यहां तक कि अनुभवी और साबित नेतृत्व क्षमता वाले लोगों को भी हटाया जा रहा है, जिससे टीमों में अनिश्चितता बढ़ गई है।”
UNITE के General Secretary अलंगुनंबी वेल्किन ने कहा कि यदि सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया तो यूनियन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्य ट्रेड संगठनों के साथ मिलकर यह अभियान वैश्विक स्तर पर ले जाएगी।
कर्मचारियों की शिकायतें
प्रदर्शन के दौरान कुछ कर्मचारियों ने TCS के सिरुसेरी कैंपस की परिस्थितियों पर भी सवाल उठाए।
आरोप है कि कर्मचारियों को कंपनी द्वारा निर्धारित अपस्किलिंग टूल्स तक व्यक्तिगत डिवाइस पर पर्याप्त एक्सेस नहीं मिल पा रहा।
नतीजतन, उन्हें काम के लिए वैकल्पिक उपकरणों का सहारा लेना पड़ता है।
हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।
TCS का जवाब – “आरोप ग़लत और भ्रामक”
TCS ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। Business Line को दिए गए बयान में कंपनी ने कहा:
“UNITE के दावे ग़लत और भ्रामक हैं।”
कंपनी के अनुसार छंटनी का असर सिर्फ 2% वर्कफोर्स पर पड़ेगा।
चूंकि TCS का वर्कफोर्स 6 लाख से अधिक है, इस लिहाज से प्रभावित कर्मचारियों की संख्या लगभग 12,000 होगी।
कंपनी ने साफ किया कि यह एक सामान्य वर्कफोर्स ऑप्टिमाइजेशन प्रक्रिया है, न कि बड़े पैमाने पर नौकरी कटौती।
IT इंडस्ट्री में बढ़ती अनिश्चितता
इस विवाद ने एक बार फिर भारतीय IT इंडस्ट्री में जॉब सिक्योरिटी पर बहस छेड़ दी है।
महामारी के बाद से ही वैश्विक स्तर पर IT सेक्टर लागत में कटौती और ऑटोमेशन की तरफ बढ़ रहा है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई बड़ी IT कंपनियां अपने हायरिंग प्लान्स धीमे कर रही हैं और अनुभवी कर्मचारियों पर फोकस घटा रही हैं।
यूनियन का आरोप है कि कंपनियां “कॉस्ट-कटिंग” के नाम पर लंबे समय से काम कर रहे कर्मचारियों को निशाना बना रही हैं।
क्यों बढ़ रहा है विवाद?
यूनियन का बड़ा दावा (30,000 नौकरियां) बनाम TCS का छोटा आंकड़ा (12,000 नौकरियां)।
अनुभवी कर्मचारियों का हटना – जिससे टीम स्ट्रक्चर और लीडरशिप प्रभावित हो रही है।
सरकार से दखल की मांग – यूनियन का कहना है कि यह सिर्फ कंपनी का आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि हजारों परिवारों के जीवन से जुड़ा है।
Union of IT And ITES Employees protested tofay in Chennai against the announced TCS layoff of 12000 employees and the government inaction. pic.twitter.com/E3kDPLUZVW
— UNITE (@UNITEITORG) August 19, 2025