पहला पैराग्राफ — लॉन्च और कहानी की झलक
परेश रावल की आने वाली फिल्म The Taj Story का ट्रेलर रिलीज़ होते ही सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है।
इस फिल्म का निर्देशन और लेखन तुषार अमरीश गोयल ने किया है, जबकि इसके प्रोड्यूसर हैं वार्निम ग्लोबल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और सीए सुरेश झा।
The Taj Story सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक बहस है — “क्या ताजमहल एक मंदिर है या मकबरा?”
ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे एक व्यक्ति, विष्णु दास (परेश रावल), ताजमहल के भीतर छिपे तथ्यों की खोज में निकलता है और इतिहास की परतों को चुनौती देता है।
विष्णु की खोज उसे अदालत तक ले जाती है, जहां एक ओर धार्मिक मान्यताएँ हैं, तो दूसरी ओर वैज्ञानिक प्रमाण।
दूसरा पैराग्राफ — मुख्य किरदार और ट्रेलर की कहानी
ट्रेलर की शुरुआत होती है ताजमहल के गाइड विष्णु दास से, जो स्मारक की कहानी को लेकर हमेशा सवालों से घिरे रहते हैं।
जब वह ताजमहल के नीचे बने 22 बंद कमरों के रहस्य का पता लगाने की कोशिश करता है, तो उसकी यह जिज्ञासा एक कानूनी लड़ाई में बदल जाती है।
ट्रेलर में एक दृश्य में विष्णु दास अदालत में ताजमहल का DNA टेस्ट कराने की मांग करता है — ताकि यह साबित हो सके कि स्मारक एक मकबरा है या पहले यह किसी मंदिर का हिस्सा था।
यहां परेश रावल और ज़ाकिर हुसैन के बीच की कोर्टरूम बहस ट्रेलर की जान है। दोनों कलाकारों के तीखे संवाद और गहन अभिनय इसे एक गंभीर राजनीतिक-सामाजिक विमर्श में बदल देते हैं।
तीसरा पैराग्राफ — स्टारकास्ट और अदाकारी
फिल्म में परेश रावल के साथ ज़ाकिर हुसैन मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में नज़र आते हैं, जो कोर्ट में रावल के हर तर्क को चुनौती देते हैं।
उनके बीच के डायलॉग क्लैश दर्शकों को सोचने पर मजबूर करते हैं — सच्चाई आखिर किसके पक्ष में है?
इसके अलावा फिल्म में अमृता खानविलकर, स्नेहा वाघ और नमित दास जैसे कलाकार महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं, जो कहानी को भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर संतुलन प्रदान करते हैं।
परेश रावल की गंभीरता और अभिनय कौशल फिल्म को विश्वसनीयता देते हैं — दर्शक उन्हें “विष्णु दास” के रूप में पूरी तरह स्वीकार करते हैं।
चौथा पैराग्राफ — विवाद और प्रतिक्रिया
ट्रेलर रिलीज़ से पहले ही फिल्म विवादों में घिर चुकी थी।
पहले पोस्टर में ताजमहल के गुंबद के भीतर से एक शिवलिंग की छवि दिखाने के कारण सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई गई।
इसके बाद निर्माताओं ने स्पष्टीकरण दिया कि फिल्म किसी धार्मिक प्रचार का माध्यम नहीं है, बल्कि यह “इतिहास की खोज” और “विचार-मंथन” का प्रयास है।
सोशल मीडिया पर ट्रेलर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया रही।
कुछ लोगों ने कहा — “ये फिल्म ऐतिहासिक बहस को नया दृष्टिकोण देगी।”
वहीं कुछ ने इसे “अनावश्यक विवाद खड़ा करने वाला विषय” बताया।
हालांकि, एक बात तय है — The Taj Story चर्चा में है, और आने वाले हफ्तों में इसके हर ट्रेलर शॉट पर नए सवाल उठेंगे।
पांचवां पैराग्राफ — मार्केट पोजिशन और संभावनाएँ
बॉलीवुड में जब अधिकतर फिल्में लव-कॉमेडी या बायोपिक जोनर में बन रही हैं, ऐसे में The Taj Story जैसे विषय को उठाना अपने आप में एक साहसी कदम है।
यह फिल्म कोर्टरूम ड्रामा, ऐतिहासिक विवाद, और धार्मिक विमर्श के संगम पर खड़ी है।
फिल्म एनालिस्ट मानते हैं कि परेश रावल जैसे वरिष्ठ कलाकार का नाम इस फिल्म को एक गंभीर पहचान दिला सकता है।
ट्रेड एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अगर फिल्म की कहानी और संवाद उतने ही दमदार साबित हुए जितना ट्रेलर वादा करता है, तो यह ₹50 करोड़ से अधिक का बॉक्स ऑफिस रन दे सकती है — खासकर शहरी दर्शकों के बीच।
छठा पैराग्राफ — दर्शकों की राय और सोशल मीडिया ट्रेंड
रिलीज़ के कुछ घंटों में ही #TheTajStoryTrailer ट्विटर (X) और यूट्यूब पर टॉप ट्रेंड में आ गया।
कमेंट सेक्शन में लोगों ने फिल्म के डायलॉग्स और परेश रावल की स्क्रीन प्रेज़ेंस की तारीफ़ की।
कुछ दर्शकों ने लिखा — “इतिहास और अदालत का कॉम्बिनेशन देखना दिलचस्प रहेगा।”
वहीं कुछ लोगों ने पूछा — “क्या फिल्म ताजमहल के सच तक पहुँचेगी?”
सातवां पैराग्राफ — निष्कर्ष
The Taj Story सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक विमर्श है जो भारत के सबसे प्रसिद्ध स्मारक की ऐतिहासिक पहचान पर नए सवाल उठाती है।
परेश रावल की दमदार मौजूदगी, ज़ाकिर हुसैन की तर्कपूर्ण भूमिका, और अदालती ड्रामा की तीव्रता इसे 2025 की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक बना सकती है।
चाहे दर्शक इसे “सत्य की खोज” मानें या “विवाद का विस्तार” — एक बात तय है, The Taj Story हर किसी को सोचने पर मजबूर करेगी।


