90 के दशक की फिल्मों का जिक्र हो और ‘रंगीला’ का नाम न आए, ऐसा शायद ही हो सकता है। 1995 में रिलीज हुई राम गोपाल वर्मा की यह कल्ट फिल्म एक ऐसी यादगार सिनेमाई यात्रा थी जिसने न सिर्फ उस दौर को परिभाषित किया, बल्कि उर्मिला मातोंडकर और आमिर खान की लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
अब, फिल्म के 30 साल पूरे होने पर, 28 नवंबर 2025 को इसे एक बार फिर से बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया है, और दर्शकों का उत्साह देखने लायक है।
इसी खास मौके पर फिल्म की लीड एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर ने एक इंटरव्यू में फिल्म की यादें ताज़ा कीं और साथ ही यह भी बताया कि क्या ‘रंगीला’ जैसी क्लासिक फिल्म का रीमेक बनाना सही रहेगा।
“रंगीला एक टाइमलेस फिल्म है” – उर्मिला मातोंडकर
उर्मिला ने बताया कि ‘रंगीला’ उनके लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक ऐसा अनुभव है जिसने समय को जैसे रोक दिया था। उन्होंने कहा:
“ये कमाल की बात है कि लोग आज भी मेरे किरदार का नाम याद रखते हैं। एयरपोर्ट पर हों या किसी इवेंट पर, लोग मुझे किरदार के नाम से बुलाते हैं। ये फिल्म के किरदारों की रिलेटेबिलिटी का असर है।”
फिल्म में उनका किरदार मिली बेहद मासूम, सपनों से भरा और भावनात्मक रूप से खूबसूरती से लिखा गया था। शायद इसी वजह से लोगों ने उस किरदार को 30 साल बाद भी दिल से नहीं निकाला।
क्या Rangeela का रीमेक बन सकता है? उर्मिला का खुला जवाब
आजकल जब बॉलीवुड लगातार रीमेक का रास्ता अपना रहा है, ऐसे में ‘रंगीला’ जैसी आइकॉनिक फिल्म का नाम भी चर्चा में आना स्वाभाविक है।
लेकिन उर्मिला का इस पर बिल्कुल परिपक्व और दिलचस्प नजरिया है:
“सिनेमा किसी का नहीं होता। फिल्म एक बार बन जाती है, तो वह दर्शकों की हो जाती है। अगर कोई इसे रीमेक करना चाहता है, तो उसे करना चाहिए। ये किसी के रोकने या मना करने की चीज नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा:
“अपने काम को लेकर इतना पज़ेसिव होना थोड़ा बचकाना है। अगर किसी को लगता है कि वो इसे अच्छी तरह बना सकता है, तो क्यों नहीं? लेकिन दर्शक तय करेंगे कि वो कितना अच्छा बना है।”
उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि वह रीमेक के बिल्कुल खिलाफ नहीं हैं।
बल्कि वह मानती हैं कि अच्छी कहानी को नए तरीके से प्रस्तुत करने का कला को हमेशा स्वागत मिलना चाहिए।
ऑरिजिनल फिल्म की ताकत – यादें, संगीत और मासूमियत
जब ‘रंगीला’ की चर्चा होती है, तो उसके संगीत का जिक्र न करना नामुमकिन है। ए. आर. रहमान के आइकॉनिक गाने –
तन्हा तन्हा
मांगता है क्या
केवल तुम
यारा सीली सीली
— आज भी लोगों की प्लेलिस्ट में शामिल हैं।
उर्मिला ने याद करते हुए कहा:
“ये फिल्म मेरे लिए यादों का एक बड़ा सा फ्लैश है। खुशी, उत्साह, रोमांच – सब कुछ एक साथ वापस आ जाता है जब कोई ‘रंगीला’ कहता है।”
हर फ्रेम में 90’s की मासूमियत और रंगों की उस अनोखी दुनिया को दर्शाया गया था, जिसने ‘रंगीला’ को सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक एहसास बना दिया।
क्या नए जमाने में Rangeela का जादू दोबारा चल सकता है?
आज के दर्शकों को मसाला, एक्शन, हाई-विजुअल्स पसंद आते हैं। लेकिन एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो पुरानी फिल्मों की सादगी और भावनात्मक जुड़ाव को याद करता है।
अगर ‘रंगीला’ जैसा रीमेक आज बना, तो निश्चित रूप से उसकी तुलना की जाएगी।
लेकिन एक मजबूत कहानी और अच्छे कलाकार इसे नई पीढ़ी के लिए भी उतना ही खास बना सकते हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि कोई निर्देशक इस क्लासिक फिल्म को दोबारा बनाने की हिम्मत करता है या नहीं।
30 साल बाद थिएटर में ‘रंगीला’ का क्रेज फिर लौट आया
री-रिलीज के पहले दिन कई सिनेमाघरों में युवाओं और पुरानी यादों को दोहराने वाले दर्शकों की अच्छी भीड़ नजर आई।
युवा दर्शक कहानी को नए नजरिए से देख रहे हैं, जबकि पुराने फैंस nostalgia में डूबे हुए हैं।
यह इस बात का सबूत है कि एक अच्छी फिल्म कभी पुरानी नहीं होती—वह सिर्फ समय के साथ और भी खास बन जाती है।
निष्कर्ष
‘रंगीला’ का दोबारा थिएटर में लौटना सिर्फ एक फिल्म की वापसी नहीं है, बल्कि एक दौर का पुनर्जीवन है—एक ऐसा दौर जब बॉलीवुड ने दिल से कहानियाँ सुनाईं और दर्शकों ने दिल से उन्हें अपनाया।
उर्मिला मातोंडकर का रीमेक पर दिया बयान भी इस बात को दर्शाता है कि एक कलाकार समय के साथ अपने काम से आगे बढ़ता है और उसे खुलकर अपनाता है।
अब दर्शकों की नजरें इसी पर रहेंगी कि क्या कोई निर्देशक इस क्लासिक को नए जमाने के हिसाब से सिनेमाई पर्दे पर लाने की हिम्मत जुटाता है।


